Asmita .   (Asmi)
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Joined 20 March 2022


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Joined 20 March 2022
28 AUG AT 18:53

तुम क्यों नहीं मीले मुझसे बीती हुई तिथियों पर,
मैं तुम्हारी सांसों को तराश कर रखती शिलाओं पर।

बरसात होती,तीव्रता बढ़ती सुरज की, सर्दियां आती मौसम बदलते, साल बीतते और मैं मिट्टी हो जाती....
फिर तुम्हारे उत्कीर्णित अक्षुण्ण अखंड एहसासों को अपने अधरों से चुमती और तुम्हें आबाद कर देती इतिहास के कीसी शिलालेख की तरह।

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18 AUG AT 19:41


WORDS

They say...
Words are alive
They have life too
Then i wonder why in the world paper was invented?
Why i cannot count on mere words?
Why do they act like numbers having different place and face value?

Are words humans cruel and decievers?
Or are animals kind and dumb?
Are words talkative like the heated Sun?
Or are deaf like the tranquil moon?

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21 MAY AT 22:59

तेरी मनमर्जियों को अपना कर उन्हें वजूद बना दीया मैंने अपनी जिंदगी का,
तुने भी क्या खुब नवाजा इश्क़ को मेरे कभी बर्बादियों से कभी बेवफाईयों से।

पहरेदार "होश" मेरा अब दहलीज़ पर खड़े तेरे जज़्बातों को इजाज़त नहीं देता भीतर आने की हरगिज़...

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5 MAY AT 10:10

वो खुशमिज़ाज समझते हैं किरदार मेरा,
मेरी बेबाक मुस्कुराहटें मैंने सूद समेत लौटा लाई है...

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10 FEB AT 21:05

मस्तिष्क और ह्रदय के द्वंद्व में सारथी अगर जिम्मेंदारियां हो,
तो आकांक्षाएं अक्सर युद्ध हार जाती हैं...

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5 FEB AT 19:40

किस्से काहानियों में तुमने अपनी सभी सुखद-सरल बताए हैं,

तुम वो कीरदार बताओ मुझको जीसे लिख न पाए इन पन्नो पर संक्षिप्त...

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2 FEB AT 19:18

सर्द रातों मे कोलाहल जब कुछ कम-सा हो,
तुम कस-कर भर लेना अपनी आगोश में मुझको...

मैं स्पष्ट कर दुंगी चाय के कप से उठे धूए की तरह तुम्हारी बोझिल भ्रांतियों को...

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18 JAN AT 14:45

रंजिशे जज्बतो से है खुद-के ही,
कोई जाम कहा कभी एहसासो को सुन्न कर पाया हैं...

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14 JAN AT 10:52

सब्र कर थोडा ऐ दील-ए-पाक,
न गौर कर शीशों पर इतना ये अक्स दिखाते है महज इरादे नहीं...

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29 DEC 2024 AT 23:18

जरूरी नहीं अंजाम तक लाना हर बार अनुराग को,
कुछ फुल स्वीकारे जाते है बे-सबब यूं ही...

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