Asmit Maurya   (Asmit Maurya)
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जुड़िए..पढ़िए..खुश रहिए..
Joined 15 November 2017


जुड़िए..पढ़िए..खुश रहिए..
Joined 15 November 2017
1 DEC 2018 AT 2:32

शहरों में,
वो आसमान नजर नही आते,
जिस आसमान पर,
बचपन में हम,हर रात,
तारों में जाने क्या क्या,
आकार तलाश लेते थे।
अब वो साइकिल सवार,
कहाँ नजर आते है,
इन गाड़ियों की भीड़ में,
जैसे बचपन में साइकिल की,
आगे वाली डंडी पर बैठकर,
पापा के साथ,
बड़े शान से स्कूल जाया करते थे।
वो आवाजें उस चूरन वाले की,
आज भी,
गूंज जाया करती है कानों में,
जिन आवाजों को सुनकर,
नींद से भी जाग जाया करते थे।
उन कहानियों के धूंधले से किरदार,
आज भी दिल में घूमते रहते हैं,
जिन कहानियों को सुनते सुनते,
अक्सर रातों को,
सपनों की दुनिया में खो जाया करते थे।

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5 NOV 2018 AT 22:12

एक रोज यूं ही अजनबी बन,
किसी राह पर मिल जाएंगे हम,
क्या हाल है जिंदगी का,
एकदूसरे को सुनाएंगे हम।

खुश होगी तुम जहाँ होगी,
खुश होंगे हम भी जहाँ हम होंगे,
एक दूसरे को अपना,
खुशियों का आशियाना दिखाएंगे हम।

पुरानी कोई बातें नही होंगी,
किसी का न दिल दुखाएँगे,
बस जो कुछ मीठी यादें है अपनी,
उन्हें ही याद करके मुस्कुरायेंगे।

जानते होंगे दोनों ही,
अब एक दूसरे का हिस्सा नहीं,
एक दूसरे की बीती जिंदगी का,
बस एक छोटा सा किस्सा हैं,
बस उन्ही किस्सों को याद करके,
कुछ खुशियों के रंग भर जाएंगे हम।

फिर अचानक से जब,
नजरें जाएंगी घड़ी पर,
बातों बातों में कितना वक्त बीत गया,
बस यही सोचकर,मुस्कुरायेंगे हम।

फिर तुम निकल जाओगी अपने रास्ते,
और हम भी,
अपनी मंजिल की तरफ कदम बढ़ाएंगे।

एक दफा फिर से,अजनबी बनकर ही,
किसी मोड़ पर टकरा जाने का,
वादा करके,
अपनी अपनी जिंदगी में,
मसगूल हो जाएंगे हम।

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27 OCT 2018 AT 17:10

कुछ साल बाद,
जब मैं अपनी जिंदगी के सफर को,
पूरा कर चुका होऊंगा,
और मेरे बेजान हो चुके शरीर को,
जलाने के लिए ,
मेरे अपने मेरे आस पास खड़े होंगे।

मैं भी देखूंगा,
वही भीड़ में एक तरफ खड़े होकर,
कि उनके बहते आंसूओ के साथ,
मेरे साथ बीते लम्हों की यादें ,
उनके दिल में घूम रही होगी।

क्योंकि वो आखिरी कुछ वक्त होगा,
जब मैं भौतिक रूप में रहूंगा,
उसके बाद मेरा अस्तित्व ,
बस यादों और बातों में रह जाएगा,
तो हर कोई उदास होगा।

भले ही सारी उम्र,
मैंने कुछ लोगों को,
उनके हक का,
सम्मान और प्यार न दिया हो,
उस वक़्त मैं चाहूंगा कि,
दो पल के लिए ही सही,
मेरे इस बेजान पड़े शरीर में,
जान आ जाए,
और मैं उनको बात सकूँ कि,
हां वो भी मेरे लिए खास थे,
बस कुछ गलतफमियों ने,
उन दूरियों को मिटाने से रोक रखा था।

पर अफ़सोस,
मैं बस देखता रह जाउंगा,
कुछ कर नहीं पाऊंगा
धीरे धीरे एक शरीर से,
राख बन जाऊंगा।

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24 OCT 2018 AT 3:07

सुबह


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20 OCT 2018 AT 1:10

शारीरिक रावण/मानसिक रावण



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10 OCT 2018 AT 13:56

सोचो,
वो क्या मंजर होता,
जब बादलों से पानी बरसता,
कहीं लाल,कहीं पीला तो कहीं हरा,
सारे रंगों से मिलकर,
धरती पे ही इंद्रधनुष बनता।

सोचो,
उस लम्हे को,
जब पेडों से रंग बिरंगा पानी टपकता।

सोचो ,
होली कैसी होती,
क्या किसी और रंग की जरूरत होती।

सोचो,
नदियां ,झरने कैसे होते,
कैसे उनमें रंग बिरंगा पानी बहता।

सोचो,
जब सारी दुनिया रंगहीन होती,
और पानी का ही रंग होता।

सोचो,
जब इंसान नहीं,
मिट्टी हर कदम पे अपना रंग बदलती।

सोचो,
सोचो क्या मंजर होता,
इन रंग बिरंगे पानी से मिलकर,
दुनिया कितनी खूबसूरत होती।

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4 OCT 2018 AT 17:17

एक टूटे दिल की दास्तान...


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24 SEP 2018 AT 17:02

सुनो,
अब जब तुम वापस आ रहे तो,
कुछ चीजें है मेरी वो लेते आना।
कुछ बातों का,
और मेरी अधूरी रातों का हिसाब लेते आना,
हां वही बातें,
जो मैं बोलना तो चाहता था,
पर कभी बोल नहीं पाया,
दिल में दबे दबे,
उन्होंने दम तोड़ दिया।
और हां वो रातें,
जो तुम्हें याद करते,
तुम्हारे बारे में सोचते,
तुम्हारे ख्वाबों में गुजर गई,
उस रातों का हिसाब भी लेते आना।
वैसे तो मैं तुम्हें,
कुछ रोज में ही भूल गया था,
पर ना जाने क्यूं अब तुम,
फिर से वापस आ रहे।
अब जब आ रहे तो,
उन कुछ रोज के दर्द का हिसाब भी ले आना।
जानते हो,
शुक्रगुजार हूं मैं तुम्हारा,
तुम्हारे दिए इस सबक का,
कि,बिना नींव के,
बड़ी इमारतें नहीं खड़ी होती,
तुम्हारे दिए इस तूफान में,
कुछ हिस्सा मेरा भी ढह गया था,
पर ये बात सोच के आना कि,
अब यहाँ वो नहीं जो पहले था।

तुम्हें लग रहा होगा कि यहां,
एक टूटा सा आशियाना होगा,
जिसे मैंने अभी तक,
सहेज के रखा होगा,
लेकिन नहीं ऐसा नहीं है।
तुम आ रहे तो आओ,
आकर करीब से देखना,
पर मेरे मुस्कुराते से महल को देखकर,
कहीं तुम शर्मिंदा न हो जाना।

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17 SEP 2018 AT 17:38

सपना जो हकीकत सा हो,
तो उसमें ही जान होती है,
सफलता कितनी बड़ी है,
मंज़िल से ही उसकी पहचान होती है।

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16 SEP 2018 AT 18:16

सुनो,
जब दर्द सतायेगा,
मुश्किलों का दरिया,
सारे बांध तोड़कर,
अपना विकराल रूप दिखायेगा,
तुम घबराना मत,
ये वक़्त भी गुजर जाएगा।

सुनो,
जब अंधियारा हर तरफ छा जाएगा,
उजाले का अस्तित्व,
उसमें कहीं खो जाएगा,
तुम डरना मत,
बस सुबह होने को ही होगी,
सूरज निकलेगा,
और उजाला छा जाएगा।

सुनो,
जब राह के पत्थर,
तुमको बार बार गिराएंगे,
तुम उठना चाहोगे,
वो फिर गिराएंगे,
तो हिम्मत हारना मत,
थोड़ा और चलना,
उन्हीं राहों पे खुदा,
तुम्हारे लिये फूल बिछाएगा।

सुनो,
जब तुम एक बाजी हारोगे,
अपनी हार को दिल में लेकर,
एक लम्हें में ही थम जाओगे,
तुम खुद को दांव पे लगाने से भी,
पीछे मत हटना,
ये हार का अनुभव ही,
तुम्हें मंजिल तक पहुचायेगा।

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