Asma   (असमा मंसूरी)
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Joined 18 September 2018


Joined 18 September 2018
22 SEP 2023 AT 13:54

"मंज़िल की तैयारी"

ज़िंदगी भारी थी
अब ख़ाली ख़ाली हैं
उलझने बड़ी थी
सुलझी सारी है
मुश्किलों से कह दिया
अब और न आना तु
एक जंग जीत लिया
दूसरी जारी है
हर लड़ाई मैं हारी
अब जीत की बारी है
थकते नहीं मेरे क़दम
बस मंज़िल की तैयारी है।

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20 SEP 2023 AT 14:14

"मैं"
मैं प्रसन्न चित्त
मैं चंचल नारी
मैं घायल पंछी
अपने गम से हारी
खो जाऊं
अपनी ही धुन में मै
हरी ओम हारी..
हरी ओम हारी..

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9 DEC 2022 AT 9:07

Read in caption:

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8 DEC 2022 AT 10:32

"अवसाद"
मेरे अंदर कुछ टूट रहा ज़हन में शोर ज़्यादा है
उम्र ने करवट बदली वक्त की चोट ज़्यादा है
तज्जूर्बे बड़े मगर मेरे भीतर कुछ मरता गया
रिश्तों की चादर में तुरपाई हो न सकी छेद ज़्यादा है
मुसीबतों की तेज़ आंच में हौसले उबलते है
सफ़र अब ख़त्म होने को है काम ज़्यादा है
हर मर्ज की दवा है किंतु तन्हाई की नही
अवसाद रूह से लिपट जाए तो रिहाई भी नही
मैं चलता रहा ज़िंदगी कई रंग दिखाती रही
मेरी तकदीर के हर रंग फीके पड़े बेरंग ज़्यादा है

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8 DEC 2022 AT 10:27

मेरे अंदर कुछ टूट रहा ज़हन में शोर ज़्यादा है
उम्र ने करवट बदली वक्त की चोट ज़्यादा है
तज्जूर्बे बड़े मगर मेरे भीतर कुछ मरता गया
रिश्तों की चादर में तुरपाई हो न सकी छेद ज़्यादा है
मुसीबतों की तेज़ आंच में हौसले उबलते है
सफ़र अब ख़त्म होने को है काम ज़्यादा है
हर मर्ज की दवा है किंतु तन्हाई की नही
अवसाद रूह से लिपट जाए तो रिहाई भी नही
मैं चलता रहा ज़िंदगी कई रंग दिखाती रही
मेरी तकदीर के हर रंग फीके पड़े बेरंग ज़्यादा है

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19 NOV 2022 AT 23:10

अंधकार जब ज्यादा घना हो
तो समझ लो सवेरा होने को है।

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4 NOV 2022 AT 22:42

चिंता में
चिता समान
जल रही
कभी ये मुझमें
कभी मैं उसमें
पल पल
पल रही...

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4 NOV 2022 AT 22:31

उजड़ता गया वो बाग़
जिसका कोई माली नही
रोज़ ग़म ए उल्फत में गुज़रे शाम
कोई रात दिवाली नहीं

वो मकड़ी जाल बुनती रहती
जाल टूटता रहता
वो फिर जाल बुनती
उम्मीदों का घर खाली नहीं

कभी तो शाम सुकूं की होगी
कोई सुबह खुशी का सूरज खिलेगा
कोई तो पहर खुश्बू महेकाएगी
वक्त इतना भी जलाली नहीं

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1 NOV 2022 AT 20:16

रात चाहे जितनी गहरी हो
हम उम्मीदों का चराग़
मोहब्बत से जगमगा देंगे
तुम बन जाओ मेरे चांद
और मै तुम्हारी चांदनी
हम अमावस्या भी मिटा देंगे

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1 NOV 2022 AT 20:02

"दिवाली"
दिवाली तो अक्सर
लाल पीली होती है,
पटाखों की चमक से
दीए की रोशनी से
मगर
मेरी दीवाली काली होती है
अमावस्या की तरह
गहरी...

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