तन्हाइयों में, ख्वाबों में, खयालों में
फ़कत तुम्हें सोचे.......,
मेरी उन यादों पर मुझे ग़ुरूर है
( रचना कैप्शन में पढ़े)
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कहानी अब मुंह जुबानी कर ली
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जब भी मेरा इन रास्तों से गुज़र हुआ
तेरी याद का आना दर्द -ए-सर हुआ
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तो बात ये है....! कि
जिंदगी की किताब के
कुछ खूबसूरत पन्ने
मैंने................!
तेरे नाम कर दिए हैं
इन पन्नों में,
तेरे साथ गुज़ारे लम्हों का
खूशनूमा एहसास है।
तुझ पर लिखे लफ़्ज़ों के
नायाब अल्मास है
तेरे किस्से तेरी कहानियों का
दिलचस्प इतिहास है-
ये दिल उसकी याद में गा़फ़िल हो गया
ना होश में रहा अब तो जाहिल हो गया-
सुहाने दिन के फूलों की
सौगात लिए,
अधूरे छुटे सवालों की
बरसात लिए,
अनगिनत यादों की
बारात लिए,
इंतिहाई हसीन लफ्जों की
रात लिए,
मैं अक्सर, उस जगह
गश्त कर लेती हुं।
मैं अक्सर, खामोश बैठे
तुम्हें याद कर लेती हूं
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एक मुद्दत से तलबगार हूँ दीदार-ए-यार का
एक मुद्दत से मेरी नजरों ने मोहब्बत नहीं देखी-
राहत- ए- जी़स्त का इक ख़ज़ाना मिल गया
जो किसी को ना मिला मुझे वो ज़माना मिल गया-
सुनो, अय बारीश की बूंदे......
तुम थोड़ा आहिस्ता बरसना
उसे छूते वक्त ये ध्यान रखना
वो मिल्कियत है मेरी यह ख्याल रखना
उसके बालों से टपक कर
जब तुम कानों से लहराते हुए
गले से होकर दिल तक पहुंचोगे
तो वहां कुछ देर ठहर जाना
गर कोई पैगाम आए दिलकी जानिब से
तो तुम मेरे काशीद बन जाना, तुम...!
हुबहू वही बताना मुझे जो रूबरू हुआ हो।
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ऐ काश कि ऐसा होता
समंदर प्यासा होता
और बेतहाशा बारिश होती
(रचना कैप्शन में पढ़ें)-