Aslam Zariye   (Aslam Zariye)
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खुश नही हु मैं खुश रहना चाहता हूँ।
Joined 5 January 2019


खुश नही हु मैं खुश रहना चाहता हूँ।
Joined 5 January 2019
12 FEB 2023 AT 21:55

जो खानदानी रईस हैं।
उनकी अलग दहलीज है।
जो गरीबी से उठा है।
वह हमारा दोस्त है।

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22 JUL 2021 AT 9:47

खळाळत्या जीवनाचा निर्झर म्हणजे नागपुर ;
मनातल्या माणूसकीचा पाझर म्हणजे नागपुर ..
संत्र्याचा थंडगार वारा म्हणजे नागपुर ;
वैनगंगेच्या खळाळत्या धारा म्हणजे नागपुर ..
यशवंत स्टेडीयमची कुस्ती म्हणजे नागपुर ;
भरीत खाऊन आलेली सुस्ती म्हणजे नागपुर ..
सावजी वरच्या मटनाचा सुगंध म्हणजे नागपुर ;
टेकडीचे गणेश मंदिर म्हणजे नागपुर ..
कस्तुरचंदपार्कचे रस्सा पोहे म्हणजे नागपुर ;
स्पेशल सावजी मसाला म्हणजे ते नागपुर ..
काका भैय्या भाऊ ताई अशी हाक म्हणजे नागपुर ;
पाचपावलीतला सोनपापडीचा सुगंध म्हणजे नागपुर ..
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राजकारणातला गेम म्हणजे नागपुर ..
मिरचीच्या ठेच्याचा बाज म्हणजे नागपुर;
ज्वारीच्या भाकरीचा साज म्हणजे नागपुर..
आम्हा पोरांसारखे स्मार्ट म्हणजे नागपुर ;
इथल्या पोरींसारखे झकास माल ते नागपुर ..
रात्रीच्या मोकळेपणाचा आनंद म्हणजे नागपुर;
जिथ जावं; नावं घ्यावं.. अस संत्र्याचे शहर ते नागपुर ;
म्हणा"माझे गांव"अभिमानाने ते नागपुर.
Aslam zariye

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4 JUN 2021 AT 16:40

कूलर की खर-खर, मच्छरों की भिन-भिन अब मुझे साफ़ सुनाई आने लगी हैं ।
कब लौट रही हो मायके से,
मुझे तुम्हारी बक-बक करने की यादे रुलाने लगी हैं।

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10 MAR 2020 AT 22:40

माफ कर देना था।
इंसान ही हु कोई खुदा तो नही।

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25 JUL 2019 AT 21:49

क्यों मुझसे यु दूर जा रहे हो।
क्यों मुझे यु तड़पा रहे हो।
कुछ ग़लती है क्या मेरी
जिसे तुम सुधार रहे हो ।

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2 JUL 2019 AT 13:36

तुम्हे पाना ।
कुछ मज़बूरी थी
इसीलिए पड़ा तुमसे दूर जाना।

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27 JUN 2019 AT 22:23

पढ़ाई तो एक बहाना था।
शायद उसे मुझसे दूर जाना था।

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2 JUN 2019 AT 12:29

चाहता हुँ तुम्हें,
लेकिन अपना नही बना सकता।
कुछ मजबूरी है सब कुछ नही
बता सकता।

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31 MAY 2019 AT 10:54

में वही का वही रह जाऊँगा
तुम खुश रहो ।
तुम्हे मुझसे अच्छा और
कोई मिल जायेगा ।

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31 MAY 2019 AT 6:28

सपनों की इस दुनिया मे
में खो चुका था।
और साथ मे तुम्हें में
अपने सपनों मे डूब चुका था।
कुछ मज़बूरी है
ऐसी जिस से मैं दूर हो रहा हु।
यह तो सपना ही था।
कभी पूरा होंना हि नही था।

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