Asish Panigrahi   (poet.ry761)
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Joined 3 July 2020


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Joined 3 July 2020
23 MAY 2021 AT 19:29

हर किसी के पास
अपने अपने मायने हैं,
ख़ुद को छोड़
सिर्फ़ दूसरों के लिए आइने हैं... :)

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23 MAY 2021 AT 8:22

Ab koi naya khawab dil me utrata h nahi
Bahut hi sakht pahara he tumari chahat ka

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23 MAY 2021 AT 8:19

उलझा सा रहता था बेवजह कुछ सवालोंमें

तुम जवाब बन कर आये और जिंदगी सुलझ सी गयी।

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23 MAY 2021 AT 8:17

आखिर कब तक किस्सा बनके रहोगे?

जल्दी से हिस्सा भी बनजाओ मेरी जिंदगी का।

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23 MAY 2021 AT 8:15

ख्वाहिश के पन्ने पर जब तेरी तस्वीर सजाई मैंने

जैसे जन्नत की ख्वाहिश जीतेजी पूरी हो गयी मेरी।

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11 MAY 2021 AT 22:41

कितना अजीब है ये फलसफ़ा ज़िंदगी का,
दूरियाँ सिखाती हैं कि नजदीकियां
क्या होती है... :)

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10 MAY 2021 AT 13:25

समंदर ‘बेबसी’ अपनी,
किसी से ‘कह’ नहीं सकता...
‘हज़ारों’ मील तक ‘फैला’ है,
फिर भी ‘बह’ नहीं सकता.... :)

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10 MAY 2021 AT 13:24

दोगलो की बस्ती में
अपने अपने डेरे हैं,
ये आपके मुँह पर आपके
और मेरे मुँह पर मेरे हैं ! :)

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10 MAY 2021 AT 13:23

न जाने कहाँ गए वो दिन
जहाँ किसी को ‘Katti’ बोलते ही
उसे अपनी गलती का
एहसास हो जाता था.... :)

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10 MAY 2021 AT 13:21

उम्र ने तलाशी ली,
तो जेब से लम्हें बरामद हुए...
कुछ गम के थे..कुछ नम थे... कुछ टूटे...
बस कुछ ही सही सलामत मिले,
जो ‘बचपन’ के थे... :)

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