Asif Nasr   (Asif Nasr)
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Medico ❤️
A coach, A trainer, A motivator
Joined 3 May 2018


Medico ❤️
A coach, A trainer, A motivator
Joined 3 May 2018
11 OCT 2022 AT 21:22

मय्यत को उठाने में ज़रा देर लगेगी,
पैसा कमाने को बेटा परदेश गया है...

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27 AUG 2022 AT 22:09

ज़िन्दगी की कशमकश और कुछ कर गुजरने का जुनून...

जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे, ख्वाहिशों को मार कर जीना, और माँ बाप की परेशानियों का ख़्याल रखना...
इन सबसे परे होकर अपने करियर पे ध्यान देना,पढ़ना लिखना समझना,
हर एक चीज़ को बैलेंस करना!

अपनी इज़्ज़त,अपने असूल...काफी मुश्किल है
' इस सफ़र को तय करना '

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4 APR 2022 AT 23:08

चुपके से शर्मा के जब तुम बात करती हो,
और कभी जब रात को कोई राज़ कहती हो,
और हौले से अपने दिल की बात कहती हो,
और अपने दो नैनो से इजहार करती हो,
मेरे दिल को तो तुम ऐसे ही जँचती हो..!

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3 APR 2022 AT 0:06

सितम जो भी है जिंदगानी के,
वो सब भूल जाएंगे...
चलेंगे साथ हम दोनों,
और इस जहाँ को जीत जाएंगे...
गर तुम साथ हो मेरे,
तो फिर से मुस्कुराएँगे,खिलखिलायेंगे...
मंजिल तय तो है अपनी,
मगर फिर भी
अधूरे होके भी हम दोनों,
मुकम्मल हो जाएंगे...

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2 APR 2022 AT 0:38

आज पहली बार तेरी कमी खल रही है...
बड़ी मुश्किल से ये मेरी रात ढल रही है...
तुम्हारे साथ बिताए वो लम्हें याद आ रहे है...
एक उदासी मेरे सीने से लिपट रही है...

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27 FEB 2022 AT 23:37

" माँ ",
मेरी देहाती माँ !
भूखे प्यासे रोने पे,
अपना दूध पिलाती थी माँ !
रात को बिस्तर गीला करने पे,
उसी पल जग जाती थी माँ !
और मेरे रोने पे,प्यार से मनाती थी माँ !
जब कभी नींद न आती थी तो,
लोरी भी सुनाती थी माँ !
मेरे गहरे नींद में सोने पर भी,
खुद कच्ची नींद सोती थी माँ !

सर्दी में जब सर्द लगे तो,
सिने से लगाती थी माँ !
और मेरे बुखार में,
पट्टी भी तो बदलती थी माँ !
मेरे मैले कुचले कपड़ो को भी,
चकाचक-चमकाती थी माँ !
मेरे कभी थक जाने के बाद,
पैर भी दबाती थी माँ !
बहुत प्यार से पाला मुझको,
मेरी वही अनपढ़ माँ !
मेरी माँ,
मेरी देहाती माँ !!!

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27 FEB 2022 AT 23:10

मेरे सर का ताज़ हैं मेरी बहने,
मेरी इज्जज़,मेरी शोहरत,मेरा गुरुर
हैं मेरी बहने !
वफ़ा और हया की मिसाल
हैं मेरी बहने,
मेरे घर की बरकत,मेरी दौलत
हैं मेरी बहने,
किसी के घर का रौशन चराग़
हैं मेरी बहने!!!

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23 FEB 2022 AT 23:59

यूँ तो अक्सर सोचता हूं मैं
कि तुमसे बाते करू...
कुछ तुम्हारी सुनु ,कुछ अपनी सुनाऊँ,
तुम्हारे खिलखिलाने पे कभी मैं भी मुस्कुराऊँ,
और तुम्हारे रूठने पे तुम्हे मैं प्यार से मनाऊँ,
तुम्हारे कानो में,मैं खुद बाली पहनाऊं...

यूँ तो अक्सर सोचता हूँ मैं,
कभी तेरे क़रीब आकर,तेरे जुल्फ़ों को सँवारु
तेरे हाँथो में कंगन,और पाँव में पायल पहनाऊं,
कभी अपनी भी धड़कन तुम्हे सुनाऊँ...

यूँ तो अक्सर सोचता हूँ मैं!!!

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29 DEC 2021 AT 19:30

फिर आँखों से ईशारा करना है,
इस दिल को आवारा करना है,
सब ज़ख्म पुराने सुख गए,
मुझे इश्क़ दुबारा करना है...

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17 NOV 2021 AT 21:52

One of the easiest thing is 'Betrayal' ,

Hard one is Loyalty.

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