कभी लगता था हकीकत ए इश्क़
मगर धोका ए अंदाज अब ज्यादा लगता है
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+kuch tassavur,
+kuch khwahish,
+Kuch ashq,
+Kuch fariyad,
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किसी से इश्क़ हुआ है तो इश्क़ ही किया करो
झूठ बोलने का तरीका ज़माने भार में और भी हैं-
Wo Mohabbat Bhi Teri Thi Wo Nafrat Bhi Teri Thi
Wo Apnane Or Thukarane Ki Ada Bhi Teri Thi ..!!
Mai Apni Wafa Ka Insaaf Kisse Mangta
Wo Sehar Bhi Tera Tha Wo Adalat Bhi Teri Thi ..!!-
मोहब्बत मिले, तो बुरा लगता हैं?
शायद ये कोई सरफिरा लगता हैं।
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ख्वाहिशें इस की अधूरी हो लेकिन
ज़िन्दगी का तजुर्बा, पूरा लगता हैं।
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अजीब हालात हैं, की दर्द तो मीठा
न जाने क्यों सुकून खारा लगता हैं।
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माथे पे शिकन न होंठो पे शिकवा!
जरूर कोई जख्म, गहरा लगता हैं।
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जीतने चला हैं, मौत को हँसकर?
फिर तो ज़िन्दगी से हारा लगता हैं।-
मोहब्बत का मेरा सफर आखिरी है,
ये कागज, कलम ये गजल आखिरी है,
मैं फिर मिलूं ना मिलूं कहीं ढूंढ लेना,
तेरे दर्द का ये असर आखिरी है।
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ख़त के छोटे से तराशे मे नही आयेंगे
ग़म ज्यादा है लिफाफे मे नही आयेंगे
जिस तरह अपने बीमार से रुखसत ली है
साफ लगता है जनाजे मे नही आयेंगे-
माफ़ी चाहता हूँ आज अल्फाज़ नहीं मिले
'दर्द' लिख दिया है मेहसूस कर लीजिए-
कभी खुशी से खुशी की तरफ नहीं देखा
तेरे बाद किसी की तरफ नहीं देखा
और ये सोच कर तेरा इन्तज़ार लाजिम है
तमाम उम्र घड़ी की तरफ नहीं देखा-
मुसाफिर कल भी था
मुसाफिर आज भी हू
कल अपनों की तलाश मे था
आज अपनी तलाश में हू-