Ashwin kumar   (अश्विन)
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ashwinsg@blogspot89
Joined 31 January 2020


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18 JAN 2022 AT 18:04

हवाएं
किसी के लिए सांस बन गई हैं
किसी के लिए सर्द हवा बन गई है
जब से आसमान में जहर घुला है
अजनबी इसकी पहचान बन गई है

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14 JAN 2022 AT 13:48

कुछ हासिल करने के लिए कुछ होना जरूरी
मंजिले तो वही रहेंगे अलग रास्ता ढूंढना जरूरी
मालिक ने तो सबके लिए रखा है खुशियां भर के
बस उनको पाना है तकलीफों का दरिया तैरके

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2 JAN 2022 AT 18:12

पल दो पल के अफसानो में
अच्छाइयों से सारा आसमान भर दो
धरती तो बुराइयों से भरी हुई है
किसके लिए रुके हैं यहां
कौन रहा है उम्र भर के लिए यहां

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1 JAN 2022 AT 20:02

हर मानव की अच्छाइयां सार्वजनिक मैं कहना चाहिए
बुराइयां हमेशा ही निजी रूप से अकेले में कहना चाहिए

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5 DEC 2021 AT 12:10

अमीरी गरीबी तो आम चल पड़ा था
खुशनसीबी का न आलम चला था
जो चल रही खस्ता थी
जिंदगी वही रास्ता थी

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24 NOV 2021 AT 21:56

लफ्जों से खरोंचा है दिल को
उस दिन से बुखार है पूरे बदन को
दवा दारू से ना हो पाएगा कुछ खास
मोहब्बत के दो घूंट ही है बस इलाज

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21 NOV 2021 AT 21:33

आपको देखा तो आंखें भर आई
हृदय से मानो एक ही पुकार आई
प्रीत की कस्तूरी हर समा में
फलक से फटकर फैल गई जहां में

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18 NOV 2021 AT 16:46

आपको देखा तो आंखों में बहार आई
हृदय से मानो एक ही पुकार आई
पराजय का आखिरी पायदान उतर गए
जब प्रीत की पहली पायदान पर पैर रख दिए

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14 NOV 2021 AT 14:22

जंगल तोड़कर कारखाने बनाए हैं
जानवरों के बसेरों का क्या?
कारखानों मैं काम करके घर तो चल रहा है
पर पृथ्वी जो जल रही जलवायु परिवर्तन से
उसका क्या?
भूख बिना खाना खाया बचा फेंक दिया
भूख लगने वालों का क्या?
खाना पचाने के लिए दौड़ लगाते
जो खाना पाने के लिए दौड़ लगाते
उनका क्या?
बेहिसाब धन कमा लिया
फिर थोड़ा दान कर दिया
सही लोगों तक दान पहुंची
इसकी जानकारी रखते हैं क्या ?
निरंतर आगे भागे जा रहे हैं
पीछे मुड़ कर देखने का
अब मौका मिल रहा है क्या ?

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10 NOV 2021 AT 21:57

सूखे होठों की मरहम हो तुम
आधे चांद से सटी हुई चांदनी हो तुम

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