भला कौन है जो जी रहा है इस दुनिया में, किसी से प्यार करने के लिए,
और कमबख्त हम हैं जो जी रहे है उस एक
पर फना होने के लिए,-
अचानक दर्द उठा है सीने के कोने से,
आवाज नहीं आती है बहार मन में रोने से,
जो था उसके नसीब में चली है वह आज उसके पास,
सोचता हूं क्यों रुक गया था उस दिन उसे सब कहने से..-
सपना था मेरा के जीवन का हर सपना मुझे उसके साथ देखना है।
अब आलम यह है मेरे इश्क का..
कि अगले महीने मंडप में उसको किसी और के साथ देखना है।
मजबूर कुछ इस कदर हूं....
कि उसके हाथों में सजता हुआ नाम किसी और का देखना है,
अब आलम यह है मेरे इश्क का..
कि उसके फेरों के हवन की आग में झुलस ते अपने हर सपने को देखना है,
अब आलम यह है मेरे इश्क का..
कि उसकी आंखों में,टूटते हुए मेरे दिल को देखना है।
अब आलम यह है मेरे इश्क का..
कि अगले महीने मंडप में उसको किसी और के साथ देखना है।-
मैं इस जहान की एक रीत बदलना चाहता हूं,
की ख्वाइश है इस दिल की,
निकाह से पहले तुमसे इश्क करना चाहता हूं,
मैं जिस्मो की भूख में भूखा ही रहना चाहता हूं,
तुम्हें छूना नही,आंखों से तुम्हें निहारना चाहता हूं,
तुम्हें पाने से पहले तुम्हें चाहना चाहता हूं,
की ख्वाहिश है इस दिल की..
निकाह से पहले तुमसे इश्क करना चाहता हूं।
बंद कमरों की घुटन में नहीं,
खुली हवा में तुम्हारा साथ चाहता हूं,
की ख्वाइश है इस दिल की..
निकाह से पहले तुमसे इश्क करना चाहता हूं ।-
इंतज़ार भी वक्त का बड़ा पाबंद है,
वक्त के पहले खत्म नहीं होता
और
वक्त के बाद हजम नहीं होता..-
देखा जो पहली दफा उन्हें नजरों में उनकी कोई अपना दिखा,
उनकी भूरी सी आंखों में चेहरा हमे अपना दिखा,
तकते रहे,जब तक उन्होंने पलके ना झपकाई,
उनकी झुकती पलको के बीच डूबता दिल हमे अपना दिखा,
बीती ढलती रातें हम भूलते चले गए,
उठती पलको में उनकी चढ़ता दिन हमें अपना दिखा,-
चलो आज एक सपना देखते हैं,
वादियों में कहीं घर अपना देखते हैं,
एक ही फ्रेम में खुद को तुम्हारे और बच्चों के साथ दिखते हैं,
चलो आज एक सपना देखते हैं,
तुम्हारी बाहों में पनाह सीने से लगा सर हम अपना देखते हैं,
चलो आज एक सपना देखते हैं,
मांग में ललक चेहरे पर चमक तेरी कलाइयों में नाम हम अपना देखते हैं,
चलो आज एक सपना देखते हैं,
घर है छोटा मगर ख्वाब तेरे हम बड़े देखते हैं,
तस्वीर छपवाने को तेरी दिल हम अपना देखते है,
चलो आज एक सपना देखते हैं,
जेब तो है खाली मगर दुनिया भर का सफर हम तेरे साथ देखते हैं,
चलो आज एक सपना देखते हैं,-
मैं सुन सुन कर थक गया हूं,
कि तू मेरी हो नहीं सकती..
अरे तू किसी की भी हो मुझे परवाह नहीं...
मोहब्बत तो मैंने तुझसे की है ना,
अब तेरे अलावा किसी और से हो नहीं सकती..
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मत कर मुझको याद मुझे हिचकियां नहीं आती,
इतना बेदर्द हूं कि रोते वक़्त मुझे सिसकियां भी नहीं आती..
मैं वह परिंदा हूं जिसने नोचा हे कई खालो को,
दाना ना डाल,मुझे खिलाने वाले से वफादारी निभाना नहीं आती..
दहलीज पर खड़ी थी साथ चलने को उसके इंतजार का मैं गुनहगार बन गया,
मैं मुसाफिर हूं अकेली राहों का यूं हाथ थाम कर चलने वाली चाल मुझे नहीं आती..
वह आई थी आंखों में मोहब्बत लिए इसमें उसका क्या कसूर,
कसूर तो मेरा भी नहीं मुझे मोहब्बत निभाना ही नहीं आती...
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मोहब्बत पाने का जुनून,
इश्क में हदों की सीमा पार करती है..
इश्क करो तो दिल में सरफरोशी लेकर करना...
यह इश्क की दुनिया है,
एतबार जीत कर जान लेती है..-