Ashwin Chaturvedi   (©अश्विन)
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Joined 4 June 2019


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29 SEP 2020 AT 13:23

एक कविता नवाबी नगरी लखनऊ के नाम

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26 MAY 2021 AT 23:34

क्या पाया तुमने क्या खोया
जबसे तन मिला तुझे
एक मन मिला और धन मिला
बस स्वार्थ ही स्वार्थ कमाया है।

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26 MAY 2021 AT 20:15

सत्य है यह की मृत्यु ही अंत है,
मनुज क्यों फिर दर बदर भटक रहा।
हो मगन माया के वश संतप्त है,
तन का अंत फिर क्यों खटक रहा।।
कर्म ही आधार है जीवन का सार है,
छोड़ परहित धर्म निज स्वार्थ में संलप्त है,
घट पाप का तेरा भी भर जाएगा एक दिन,
फिर राह तेरा क्यों अटक रहा।।
अब भी वक्त है मानव कर्म करो,
सद्कर्म करो, कर्तव्यों पर आरूढ़ रहो,
ध्यान धरो और धैर्य धरो
काल की तलवार सबपे लटक रहा।।

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21 APR 2021 AT 22:09

आज अपनी किस्मत लिखना चाहता हूं,
जिंदगी के हर पन्ने को पढ़ना चाहता हूं।
मुसाफिरों सा भटकता रहा दरबदर,
आ, तुझ पर अब मैं टिकना चाहता हूं।।
अब हर पल सिर्फ तुझे देखना चाहता हूं,
सिर्फ तुझे ही पाना चाहता हूं।
रंग लो मुझे भी अपने रंग में,
मैं भी तेरे रंग में रंगना चाहता हूं।।
तुम्हारी बाहों में खोना चाहता हूं,
अब तेरा और सिर्फ तेरा होना चाहता हूं।
अधूरा सा था जीवन मेरा अब तलक,
तुझ संग मिल अब पूरा होना चाहता हूं।।

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21 NOV 2020 AT 12:50

तुम्हारी गजल के लब्जों में हम हैं,गीतों में हम हैं शब्दों में हम हैं।
कहते हो तुम हम कोई नहीं तुम्हारे,हर इक नजर की नजर में हम हैं।।
तोहफ़ा तुम्हारा है दिल में हमारे,बहुत शुक्रिया हम नजर में तुम्हारे।
मेरे हमदम ये एहसान मुझ पर,एहसास में बस रहे हम तुम्हारे।।
मेरा आशियाना है दिल ये तुम्हारा,मेरी शामें रोशन दीपक दिल तुम्हारा।
रोशन तुम्हीं से सिन्दूर बिन्दियाँ,मेरे रूप का दर्पण चेहरा तुम्हारा।।
मैं देखूँ तुम्हें और नजर में समा लूँ,यही इश्क पर हुस्न की जीत होगी।
खोए रहे हम नजर में तुम्हारे,नजर से नजर की यही प्रीत होगी।।

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18 OCT 2020 AT 7:44

दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से
आपको सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति हो,
अपने सामने आने वाली
किसी भी प्रकार की बाधा का सामना आसानी से कर सकें।
इनकी उपासना से आपके जीवन में
तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि हो।
जीवन के कठिन संघर्षों में भी आपका मन
कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं हो।।

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17 OCT 2020 AT 8:37

वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् |
वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् |
नवरात्र के प्रथम दिवस पर
मां शैलपुत्री आपका कल्याण करें,
जीवन से
समस्त कष्ट एवम् दुखों को हरण करें।।

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16 OCT 2020 AT 13:46

वह मनुष्य नहीं नरपिशाच है,
जिसके कर्म बदलते रहे,
जो फसा रहा लाइक/अनॅलाइक में,
प्रोफाइल के नंबर बदलते रहे।।
वह रक्त नहीं है पानी है,
उसकी जवानी एक कहानी है,
जो लगा रहा पकड़ कर छोड़ने में
उसकी धिक्कार रवानी है।।

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15 OCT 2020 AT 12:38

जब खुदकी सुलग जाए
तब तक प्यार अच्छा है
जब सब कुछ उलझ जाए
तब रास्ते अलग हो जाए सबसे अच्छा है

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14 OCT 2020 AT 8:24

क्या जमाना आ गया अब जमाने में,
एक्स को शर्म नहीं आती दूसरे को घुमाने में,
वही शहर, वही गालियां, वही चौबारे हैं
छोड़ क्या दिया, उसे मज़ा आता है अब मुझे जलाने में।।

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