अजब सी अजीबियत हो गई है, बड़ी कमसिन तबियत हो गई है।
शहर में उड़ रहा है रंग ऐसा, मुस्कुराने में अज़िय्यत हो गई है।।-
हौसलो में जान बाकी है,
कोसो दूर है मंजिल अभी,
अभी तो उड़ान बाकी है।
आदतन उनसे दूर जाना पड़ा हमें,
दिल तोड़ने का था, कोई इरादा नहीं।
वो हमपे इश्क का रौब जमाने लगे थे,
हमने कहा था उनसे, हमें मोहब्बत नहीं।
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हमे उनसे मिलने की, कोई ख्वाहिश नहीं थी।
लेकिन फिर भी उनका जाना, हमे अच्छा नहीं लगा।-
बढ़ते दलदल में जमीन ढूंढ ली है,
लोगो ने डर में भी खुशी ढूंढ ली है।-
जिंदगी मेहरबान थी तेरी बहो में,
अब यहां अश्कों के सिवा कुछ नहीं।-
अभी तो जवा जहा है,
अभी तो कच्चा रास्ता है।
अभी खिली मुस्कान है।
अभी अधुरी पहचान है।
हसरते अभी है बची हुई ,
ख्वाब नए है पल रहे,
जिद की हवा भी चल रही,
कंकड़ राह में पड़े हुए,
चन्दन बन के फिजा में मन,
अपनी ही धुन में जवान है।
ये पाँव जमी से छूटे तो,
अभी आकाश की उड़ान है।
अभी खिली मुस्कान है।
अभी अधुरी पहचान है।-
कुछ देर ठहर कर यूहीं एक रोज देखा है,
हमने खामोश दरिया में पनपता शोर देखा है।
सरहद को विदा करती है, मां हँस कर बेटे को,
हमने ममता का दामन भी, कभी कठोर देखा है।
सियासत बाढ़ में लोगो का दुःख क्या ही पूछेगी,
कभी जंगल में नाचता हुआ कोई मोर देखा है?
दुःख देखकर मेहनत का दामन छोड़ देता है,
हमने इन्सान को अक्सर यहां कमजोर देखा है।
"समर" अब क्या डरायेगा हमें तू बेवफाई से,
हमने हिज्र-ए-रात, मौत को हर ओर देखा है।-
ओस की भीनी बूदों में जब रात गुजर जाती है।
हर सुबह खिड़की से तेरी सूरत झलक जाती है।
तुझे क्या पता कितना नाराज होगा वो आइना तुझसे,
तू उसमे खुद को पा कर भी, हर बार पलट जाती है।-
अजब लोग निकले है बाज़ार में, मनचलों से दोस्ती करते हैं।
मोहब्बत में गर दिल टूट जाता हैं, मुद्दतो शायरी करते हैं।
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