उपनिवेशकों के सामने खड़े होने में सुभाष एकदम अग्र थे।
दासता के अंधियारे को मिटाने वाले सुभाष एक चंद्र थे।।-
बे-लौस हो वे हाशिये पर हमेशा ख़ड़े रहे।
ताकि रैयत-ए-मुल्क उनकी महफूज़ बनी रहे।।-
इन मासूम ख़ानाबदोशों का एक ही दर्द है,
कि ये बेचारे जब पैदा हुए, तो मौसम सर्द है।।-
काल की भट्टी,
पिछले साल के ख्यालों को राख कर रही है।
बडी वज़द से,
नये साल का स्वागत आफ़ाक कर रही है।।
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जैसे ही लगा सबको, सब कुछ ठीक होने लगा।
वैसे ही ये कोरोना और भी ढीठ होने लगा।।
इस ढीठ कोरोना ने जाने कितनी जान ली।
इस दहशत को देख,
जो इस बार लोगो ने खुद से घर में रहने की ठान ली।
तो इस कोरोना ने खुद-ब-खुद हार मान ली।
फिर आया वैक्सीन रूपी हथियार,
जिसे देख ये कोरोना गया सात समुंदर पार।
फिर से लोग चलने लगे अपनी पुरानी चाल,
होने लगी बारातें, बजने लगे ताल।
देखते ही देखते कुछ यूँ गुज़र गया इक्कीस्वी सदी का इक्कीस्वा साल।।-
Hard from outside,
Soft from inside.
If hardly broken,
Get to see some water.
What do you think!
Talking about coconut,
Nope,
It's about the most underappreciated, underdocumented, underrated,
Community of today's World.
Men.
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आजतक मनाते थे त्योहार जिसकी छाँव में पलते।
अब वही त्योहार हैं बहुत ही ज़्यादा खलते,
उनकी कमी के चलते।।-
यूँ कहने को तो हम स्वतंत्र हैं,
पर इस धन के हम परतंत्र हैं।
इसीलिए भ्रष्टाचार से लिपटा अपना पूरा तंत्र है।
मिटा दे इस दीमक को, अभी उपलब्ध नही ऐसा यंत्र है।
कहने को तो हम सबसे बड़े जनतंत्र हैं,
पर क्या सच में हम स्वतंत्र हैं?-
जो जनाब हमारे झोपड़े में आग लगा गए।
अब वे पूछते हैं कि आप हमको क्यूँ जला गए।।-
इधर आज़म अनार को दीवार मे चुनवाते जा रहे हैं।
उधर आज़म ही सलीम को प्यार के पाठ पढ़ाते जा रहे हैं।।-