Ashutosh Sneh  
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Joined 26 February 2018


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13 APR 2023 AT 21:58


'Mai' ko 'hum' bolte hai,
"Parae" ko bhi "apna" bolte hai,
Hum to Safar ke musafir hai..
Hume bihari bolte hai ❣️

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10 JAN 2023 AT 15:11

Mai nikla tha Duniya dekhne ko,
Mai ek Chehre ko Takta reh gaya...

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20 NOV 2022 AT 0:02

हमें रोना तो कभी सीखाया ही नहीं गया,
हर बात खुद तक रखना जैसे मजबूरी बन गई है..
और मुस्कुराते भी तो कैसे मुस्कुराते
हमारे तो सर् हर जिम्मेदारी चढ़ गई है ..

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29 SEP 2022 AT 1:51

बचपन में आँसू बहते ही तकदीर बदल जाया करती थी..
लेकिन अब वो और पत्थर हो जाया करती है।।

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18 JUN 2022 AT 20:50

सिगरेट का धुआं तेरी शक्ले बनाता रहा
तुझे देखने की चाह में नए छल्ले बनाता रहा

बहुत महंगी है तेरी मुंह दिखाई

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25 MAY 2022 AT 4:02

मै वो शहर खोज रहा हूं
कही मिले तो बताना
जहाँ बच्चो की किलकारिआं सुनाई देती थी
जहा पंछिओं की लम्बी उड़ाने दिखाई देती थी
जहा मांझे धागों की लड़ाई दिखाई देती थी
जहा नलकों से टपकते वारि दिखाई देती थी
जहा बल्ले उठाए बच्चो की झुण्ड दिखाई देती थी
जहा कुलफ़ी की घंटी सुनाई देती थी
जहाँ हम दिखाई देते थे
मै वो शहर खोज रहा हूं
अगर मिले तो बताना...

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3 NOV 2021 AT 1:35

सन्नाटा है चारो तरफ
क्या ये दिवाली का त्यौहार है
दिए तो जल रहे है
रौशन पूरा बाजार है
अजनबी हो गया हूँ मै
सन्नाटे में खो गया हूँ मै
रौशन भी अब अंधकार सा है
पटाखे की आवाजें भी अब सांत सा है
उस दिए की जोत के निचे खुद को छुपा लिआ हूँ मै


इस लम्बे शरद रात के खत्म होने के इंतज़ार में हूँ मै
सवेरा होने के इंतज़ार मे हूँ मै..

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23 OCT 2021 AT 22:20

रोजना अनेको से बात होती है ,
शब्द ...मन ..जज़्बात , एक एक करके सब खामोश हो गए
मंजिल खोजते हुए कई रास्तों पे चल रहा हूं
मंजिल का पता नहीं मुसाफिर अनेक हो गया है अब।

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13 SEP 2021 AT 0:04

When you know you are on wrong path, don't stop....
Keep moving...
Mistake is the key to invention ..

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14 AUG 2021 AT 1:44

बेवजह क्यों पलटते जा रहे हो पन्ने ख्वाबो के,
वहा तुम्हे कुछ न मिलेगा सिवा कोरा कागज़ो के ।।

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