इश्क़ की राह में..
अब, थम जाऊं क्या..
या चाहत की आजमाइश को,
एक रोज़ फिर से आजमाऊं क्या।-
I write only what I've learned from life, nothing fictional.
Don'... read more
चलो सो जाते हैं,
कोई तो होगा जो इन बेज़ान बाहों को पनाह देगा।
वो क्या है ना, सब ख़्वाब तेरे प्यार से बेरहम नहीं होते।-
सुन पढ़ रहे सब बात मेरी
समझे ना कोई है तिल भर भी
गौर करे जब मन को लगे
अमल करे ना कोई तिल भर भी
पढ़ तो रहा बेशक सबको
पर सुन तो रहा वो खुदको ही
पढ़ ना सका मन की धुन वो
ना सुन सका दिल की सरगम ही।-
कुछ तो कहा ख़ामोशी ने
यूं ही ना बैठे हम तन्हा थे
कुछ ख़ास ही पाप किए होंगे
जो मौत को भी ना-गवारा थे।-
अंत की शुरुआत है, या
शुरुआत का हुआ अंत है..
खत्म होते दुःख कहां, अजी
आदि है ना अंत है!
पीड़ा है संसार की,
जीना जटिल अत्यंत है..
अभी जानी कहां ये ज़िन्दगी
ये तो मृत्यु तक का द्वंद है!
करके सुलह एक नई सुबह
हो जाए एक सूरज उदय
जग मेरा ना, दुःख तेरा ना
सुख का कोई ना बसेरा यहां
ये ज़िन्दगी एक ख़्वाब है,
बस नींद से तू उठना ना!-
A body, a shape, and a few more parts..
A soul, and a mind, that's quite so smart.
Is it enough, to make us look apart..
From the world, full of nature's art.
We all must use our wit, to take a headstart..
To give this world, a much needed restart.
A light so bright, to sweeten every heart..
A few more sweets, for our mother nature's kart.-
दुनिया को साया देने की बात करते हैं
ख़ुद की फटी चादर भी जिससे संभली ना हो
घाव भरोगे कैसे दूसरों के भला
बने जो तुम ख़ुद नमक के हो।-
"PERFECTION"
The known possible perfection comes along with many compromises. And with compromises, how come anything ever be considered perfect. And the perfection without compromises always has many consequences.
So, as the old saying goes, "perfection doesn't exist", it's true, but just know that THE BEST WE CAN EVER GET IS 'WITH COMPROMISES' IS THE PERFECT 'PERFECTION'.-
Uncertainty is the only certainty there is,
and knowing how to live with insecurity
is the only security.-
प्रेम कर मनुष्य से पवित्र जो चरित्र से
दरिद्र बेशक धन से हो, ना सोच जिसकी ओछी हो
कर गुज़र, कर फिकर, तू आप से समाज से
रंग-जात-भेद को तू भेद करके आगे बढ़
प्रचार कर प्रसार कर, मनुष्यता का गौर कर
कर घमंड बन प्रचंड ना देश पर प्रहार कर
धर्म रख समाज से ना बैर कर नमाज़ से
फर्क कर ना नाम से, परख उसे ईमान से
धर्म का ना खेल कर, तू कर्म पे ही गौर कर
विनम्र मन के भाव से, विचार कर प्रभाव से
कर्म कर तू ऐसा कि उत्थान हो समाज का, हो फख्र
ऊंचा है सर ये ताज से, तेरे-मेरे स्वाभिमान से।-