"मैं भी ख़ाइफ़ नहीं तख़्ता-ए-दार से
मैं भी मंसूर हूँ कह दो अग़्यार से
क्यूँ डराते हो ज़िंदाँ की दीवार से
ज़ुल्म की बात को जहल की रात को
मैं नहीं मानता मैं नहीं जानता"
#protestCAB-
तुम ने साये में खड़ा शख्स देखा हैं,
धुप में खड़ी परछाई नहीं देखी।
तुम ने मेरी महफिले देखी हैं,
तुम ने मेरी तन्हाई नही देखी।
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रेत की महफिल में भी,
तुझमे नदियाँ तलाश करता हुँ।
मेरी शामो को मकसद देने का,
तुझमे जरियाँ तलाश करता हूँ।
गुजारे होंगे भले कुछ लम्हें ही तुमने मेरे साथ,
उन लम्हों में ही मैं सदियाँ तलाश करता हूँ।।-
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Usne bhi mujhe aise hi ignore kiya tha.-
People remembers the one who broke their trust
I remember the one who stoles my chocolate
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होकर आया हुँ इंसानो की गलियोँ से,
इंसानियत न मिली, इंसान न मिला।
इबादत के नाम के झंडे तो मिले,
पर इबादत न मिली, भगवान न मिला।।-
अब इस अधुरी ज़िंदगी में
किसी अपने की तलाश हैं
ज़ल्द ही उनसे मुलाकात होगी
मुझे पुरा विश्वास हैं।।
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UNKNOWN ANGEL
She is an Angel Still Unknown.....
Here goes a poem written for an Angel
(Read the caption)-
नाराज़गी तो अब भी हैं उनसे, पर कैसे दिखाऊ
प्यार तो अब भी हैं उनसे, पर कैसे जताऊ,
माना की अब नफ़रत सी होने लगी हैं उनके नाम से,
पर यारों अपनी पहली मोहब्बत को कैसे भुल जाऊ-