Ashutosh Rana   (ASHUTOSH RANA)
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Joined 19 March 2019


Joined 19 March 2019
18 APR 2020 AT 23:12

नित नये नक्श बनाते हो, मिटा देते हो,
न जाने किस जुर्म-ए-तमन्ना की सजा देते हो,
अब तो खुदा भी हैरान है,
किस कुरबत से बनाया था तुझको,
तुम तो फरिश्तों को भी जवानी के रस में भिगा देते हो,

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9 APR 2020 AT 1:32

दौड़ती जा रही तेरे बगैर वीरान सी जिदंगी में,
महफूज़ नहीं हूँ मैं इक पल, तन्हा फिरता रहा पल-पल,
यादों के घने इस जंगल में, खोज रहा तुझे हर पल,
खोजी हैं अंगूर लताएँ, ढूंढा चंदन की डाली,
गुम हुई जहाँ आवाज-ए-पा, खोज रहा मैं उस डाली,
ओ वा शिंदे लौट के आजा फिर गुलशन में,
तुम थे मेरे कल, तुम हो मेरे कल,
तेरे बिन, गुजरता ही नहीं इक पल,
खालिद हूँ मैं इस पल, हूँ पल-पल |

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8 APR 2020 AT 1:49

नज़र से नज़र नहीं मिलती, जरूर कोई बात है,
इतने खामोश क्यों हो?, कहो मुझसे, क्या कोई राज है?
अफसाना है दिल का, भुलाया नहीं करते,
हर किसी को बताया नहीं जाता,
पर अपनो से छुपाया नहीं करते|
लगता है किसी अजनबी ने,
दस्तक दी है, दिल के दरवाजे पर,
यूँ दरवाजा बंद कर, शरमा या नहीं करते|
शर्म छोड़ कर दीदार तो कर लो,
हो सकता है हो हमसफ़र,
क्या पता उस रब ने,
इस चांदनी रात को, बनाया हो हमसफ़र के लिए||

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8 APR 2020 AT 1:01

साथी मेरे साथ निभाना
जन्मों- जन्मों तक मेरी माँग सजाना|
गलतफहमियों से हट के, खुदगर्जी से दूर,
मैं तुम्हें मनाऊँ, तुम मुझे मनाना|
जैसे तीर रहे नदी संग,
संग में मेरे बहते जाना|
साथी मेरे साथ निभाना.......
अपनी मुस्काहट के फूलों से,
मेरे गुलशन को महकाना|
अपनी बातों के मीठे रस को,
मेरे जीवन में भरते जाना|
साथी मेरे.........
अपने मन के अहसासों को,
बातों के जज्बातों को,
संग में मेरे कहते जाना|
साथी मेरे...........

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25 MAY 2019 AT 9:56

बिखरे मन केेउपवन में
पतझड़ जब भारी होती है
बरसातो की ख्वाहिश की
अरदासे भारी होती हैं|
मन के सूने आँगन में, जब याद तुम्हारी आ जाये
तो बात तुम्हारी होती है,
कुछ राते भारी होती हैं|
तू रुठा तो सूरज रुठा,
अब चाँद की ख्वाहिश क्या करना,
जुगनू बन जाये सफर का साथी
तब दीप जलाकर क्या करना,
उन सूनी-सूनी राहों पर
आहटे तुम्हारी होती हैं,
कुछ रातें भारी होती हैं|

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23 APR 2019 AT 17:30

नजरें मिलीं मस्तानी से,दिल कहता है दिवानी से,
जब मुझसे मिलने आया करो,
मैं तुम में खो जाया करूँ,
तुम मुझ में खो जाया करो।
ज्वाला बनकर मैं जो लिपटूं,
तुम चन्दन बन जाया करो। जब...
जब आग लगे इस तन-मन में,
तुम बादल बन जाया करो। जब...
पुष्प बनूँ जब उपवन का,
तुम भंवरा बन जाया करो। जब...

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23 APR 2019 AT 17:13

तेरी यादों के अवसादो को
दरिया में जा डुबा दिया,
नहीं किनारा ढूँढ सका तो,
खुद को दरिया बना लिया।

अब अंत नहीं मेरा है,
गहराई का पता नहीं,
कितने आये तूफानों को,
खुद में मैंने समा लिया।

कश्तियां, मुझमें आती-जाती रही,
अपने निशां खुद ही मिटाती रही।
आती-जाती कश्तियों को,
तूफानों से बचा लिया।
मैंने, खुद को दरिया बना लिया।

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13 APR 2019 AT 14:02

अब अन्तर में अवसाद नहीं,
चापल्य नहीं उन्माद नहीं,
सूना-सूना सा जीवन है,
कुछ शोक नहीं आह्लाद नहीं,

तव स्वागत हित हिलता रहता,
अंतर वीणा ka तार प्रिये...

इच्छायें मुझको लूट चुकी
आशायें मुझसे छूट चुकी
सुख की सुन्दर - सुन्दर लडिया
मेरे हाथों से टूट चुकी
खो बैठा अपने हाथों ही
मैं अपना कोष अपार प्रिये
फिर कर लेने दो प्यार प्रिये.....

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13 APR 2019 AT 1:04

एक ख्वाब की दस्तक है, एक याद पुरानी है,
वो तेरी कहानी है, वो मेरी कहानी है।
एक अजब सी धडकन है, सांसों में बंध जाती है,
वो याद तुम्हारी है, वो याद हमारी है।
रात ख्यालों में तुम मुझे जगाती हो, कैसे कह दूँ मैं तुम सो जाती हो,
जब करवट लेता हूँ तो सिसकन होती है, करवट ये मेरे हमदम तुझको भी सिसकाती है।
सूरज की सतरंगी किरणों में एक चेहरा आता है, वो अपने संग मेरी नींद ले जाता है,
बेचैन हो उठता हूँ, सांसें थम जाती हैं।
वो चेहरा तेरा है, मुझको तड़पाता है।


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13 APR 2019 AT 0:30

बहुत हुयी मोहब्बत अब उनको दिल में बसा लेत हैं,
दिन भर के थके हुए परिंदे हैं, चलो कहीं आशियाना बना लेते हैं।
हमने चाहा था उनको खुदा की तरह,
सोचा था जिंदगी का हमसफर बना लेते हैं।
वो मेरे साथ दो कदम चल भी न सके,
मेरे रास्ते के कांटों को देखकर,
अब सोचा है कि ये सफर अकेले ही तय कर लेते हैं।
ऐसा नहीं कि तेरे बिना हम जी नहीं सकते,
तुम्हारी सारी खतायें हम आज माफ किए देते हैं।
जरूरत नहीं मुझे ऐसे लोगों की,
हम वो हैं जो बुझते हुए चिरागों को जला देते हैं।

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