हे साथिया ! किक मार रे
सपनों के एक्सीलेटर थाम रे
चलेगी अपनी बाइक राहों पे
पंक्चर बनाने का किट रख पास रे !
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
2122 1212 22
तेरी नजरों से खिल मैं जाता हूं
इक ग़ज़ल फिर कलम से लाता हूं
तू अगर साइकिल सी है चलती
तो मैं घंटी सा ठनठनाता हूं
यूं कमल खुद को हूं समझता पर
भौंरा बन गीत तुझपे गाता हूं
तेरी मुस्कान की मधुर लौ में
बन मैं परवाना मिट सा जाता हूं
तू कोई नदिया इश्क की लगती
डूब कर तर मैं जिसमें जाता हूं
(अनुशीर्षक भी पढ़ें 🙏) - आशुतोष उपाध्याय-
चाय में चीनी तू क्यों डाले
मीठा ज्यादा फिर है लागे
दाल में नमक तू क्यों डाले
नमकीन ज्यादा फिर लागे
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
हे परिंदे तू ,जा उड़ जा तू ,आसमानों में
घोंसले सपनों के, जा, बना जा तू
हे परिंदे तू ,ले चुन ले तू ,दूर तारों को
घोसलों को, अपने, जा सजा जा तू
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
चलता चल, चलता चल
हे राही! चलता चल
फूंस की चिंगारी में, फूंक तू भरता चल
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
दिल तो मेरा यारा, है डिस्को पिटारा
नच के देख ले इसमें हे यारा!
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
मुझको खुद में मिला देना
मुझको खुद में घुला देना
सौ-रंगा मैनूं बना
(अनुशीर्षक में पढ़ें 🙏)-
तारा कोई टूट जैसे गिरा
कंप्यूटर दिल का मेरे ऐसा हिला
चेहरा तेरा हर ऐप्स में दिखे
हैक कर लिया तूने जिगर यह मेरा
आंखें वही, फिर भी लगे जग नया
नजरों से कैसा जादू तूने खेला
रहा ना अपना अपने में कुछ अब
O.S. तूने मेरे मस्तिष्क का ऐसा बदला-