Ashutosh Jani   (Ashutosh jani)
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Joined 6 January 2018


Joined 6 January 2018
20 APR AT 0:47

एक खटमल दूसरे से पूछे कब लोग आ जायेंगे
खून चूसने की तलब ये लोग मिटा जायेंगे
दूसरे ने उत्तर दिया चिंता छोड़ो अब बंधु
चुनाव के नतीजे सामने आजाएंगे
बाद में मिल बाट के खून चूसने लग जाएंगे

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20 APR AT 0:39

तेरे आंचल से भीग गई

चांद तारे के पसीने छूट गए एक रात मैं
जैसे देखा गया हो तुम्हे बे-पर्दा एक रात मैं

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11 MAR AT 17:42

मैं अगर तुजसे न झगड़ा तो झगड़ना व्यर्थ है
शब्द भी ये व्यर्थ है इसके मायने भी व्यर्थ है

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11 MAR AT 17:24

बहुत खूबसूरत है वो नज़्म तेरे आंखों की तरह
जिसे देखा तो जा सकता है पढ़ा नहीं

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10 MAR AT 23:40

आप पढ़े लिखे है तो लिख सकते हैं कुछ भी
में अनपढ़ हूं तो केवल लिखूंगा प्रेम ही

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10 MAR AT 23:24

में खैरात में भी तुझे न दे सकूंगा तू मानले
जो तर्क में न आसके वो कारवां तू छोड़ दे
वो पत्थरों पर सिर पटकते दिल जुबां पत्थर हुआ
जो चाहता हों खुशबू तो गुलों की माला छोड़ दे
वो धूप वो मोमबत्ती क्या जलाए तेरे लिए
गर अंधेरा पड गया हो अक्ल के मैदान पर
कोई चादर कोई फातेहा पढ़े आशा लिए
कोई तुझको सुन रहा है देख रहा है ये मानना तू छोड़ दे

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10 MAR AT 23:05

में खिलाफ़ हूं तो ये न समझ मुझे आरजू ए तू नहीं
जो तू चाहता हो अदावत भी तो भी दीदार दे के यूं न जा
में तुझे तलाशता एक मुसाफ़िर लोग कहेते है काफ़िर हु
जो मुझको ना मंज़िल मिली तो छीन लूंगा तेरा चेन ओ सुकून

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7 MAR AT 23:35

वैसे तो हर कोई होता है अपने आप में एक किताब
पर तू मेरी वो किताब है जिसके कुछ पन्ने मैंने पढ़ रखे हैं
कुछ अनकहे छोड़ दिए हैं वो कुछ जो दिल में संभाल कर रखे है
जिस पर सुर्ख गुलाब मिला करता था
जो अश्कों की नमी के कारण थोड़ा हरा व
तेरी बे रूखी के करण से सुर्ख हो चला था

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2 MAR AT 15:33

જમાનાના ઢંગ થી અવળો ફરું છું,
છતાં શેખ સાહેબ થી ઉંચો ફરું છું
હતી રાત શીતળ ને દીવા બળ્યાતા,
દરેક જ્યોત મા હું ઠરેલ મળુ છું
ફકીરો એ કોઇ કસર ક્યાં છે છોળી,
ડુબાળ્યો છે એવો કે તળીયે રમું છું
મને જ્યાં ગમે ત્યાં એક્લો ફરું છું,
ખાલીપો જ્યાં વાગે ત્યાં છલકતો ફરું છું
સરનામું શોધવા ન ભટકશો ક્યાંય મારા,
પ્રણય સમાં તે દિલમાં ધબકતો રહું છું

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2 MAR AT 1:34

किसी डूबती हुई कश्ती को मजधार में ले जाना
आसान नहीं है फिर खुद को बचाना
मंज़िल सफ़र का अंजाम देख चुकी
मालूम है उसको किसी का कहां तक पहुंचना और डूब जाना

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