Ashutosh Ganguli   (Ashutosh Ganguli 'DADA')
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Joined 13 February 2018


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4 APR AT 1:29

तुम्हें जाने क्या दें, तुम कभी आए ही न थे,
तुम्हें खोने का डर कैसा, तुम्हें कभी पाए ही न थे,
बस एक अक्स को देखा था मैंने अपने आंखों के आईने में,
बस एक वेहम था, तुम्हारे होने के साए भी न थे।
मैंने गलत सुने थे लफ्ज़, तुम्हारे लबों ने जो दोहराए भी न थे,
कांटे थे बस, पंखुड़ियां नहीं जो कुम्हलाए हुए थे,
खैर गलती, नादानी, गलतफहमी जो थी सो मेरी थी,
तुम क्या ज़ख्म भरते मेरे, तुमने तो घाव मेरे कभी सहलाए भी न थे।

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4 APR AT 1:07

गुनाह है की हसीन नाज़नीन पे यकीन किया जाय,
बेहतर है जाम - ए - ज़हर लिया जाय,
अपनी मौत का खंजर क्यों दे गैरों के हाथों में,
ये मौत की मयकशी का प्याला खुद ही पीया जाय।
किश्तों में मरने से कहां काम हो,
हो घुटी हुई सांसे तो कहां आराम हो,
सांस आए पूरी चाहे आखरी ही हो,
अंजाम हो पूरा चाहे काम तमाम हो।
जीना है तो रोज़ जी के एक दिन मरो,
खुद को लुटा दो औरों पे इस बेखुदी से मरो,
कल की सोच के जो आज मर मर के ही जिए,
यूं मर मर के जीने से भला एक बार ही मरो।
मगर गुस्ताखी ये न हो की प्यार अधूरा ही करो,
अगर बढ़ाया है जो हाथ तो आखरी सांस तक धरो,
और अधमरा कर के अगर दफनाया इश्क को,
आंखों से खून बहेगा, है बेहतर की अभी बेमौत ही मरो।
खैर अब दास्तां खत्म होने को है तो लबों को आराम देते है,
बेवफाओं को, समझने, अगले जनम में, वफ़ा का पैग़ाम देते है,
अब जीने से मन भर गया है, अलविदा कहते हैं ऐ दोस्त,
हम मौत पर राहें बदलने से पहले, आखरी सलाम कहते हैं।

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14 MAR AT 0:36

हमने चाहा है जिंदगी को जीना अपने उसूलों पर,
जिंदगी नंगे पांव चलाती है हमें सिर्फ शूलों पर,
भय, चिंता नहीं,चिंतन की जरूरत है भूलों पर,
विजय श्री की यश होगी, यदि हो परिस्थिति प्रतिकूलों पर,
ये है बच्चों का खेल नहीं जो बस सम्हलना है हिलते झूलों पर,
बगीचे का बाज़ीचा नहीं, जो तितली करती है फूलों पर,
पत्थर चीर निकलना है, क्यों उलझे मामूली धूलों पर,
कर तांडव कांटों-कंकड़ पर, शिव करते स्वामित्व त्रिशूलों पर।

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3 MAR AT 23:25

पलकों के झरोखे में रहने दो नज़रें,
बेपर्दा होते ही पढ़ी जाती है नज़रें,
राज़ को रहने दो राज़ आंखों का,
राज़ खुलते ही बेनूर हो जाती है नज़रें,
लिफाफा खुलते ही खत का मोल खत्म होता है,
आंसू बहने दो, ये रुकते ही मामूली हो जाती है नज़रें,
बने रहो पहेली, तो शायद जमाना पूछ ले,
सुलझ के हल हुए नहीं कि, कहीं को भटक जाती हैं नज़रें।

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29 FEB AT 1:06

अब मैं मर चुका हूं:-
खुशफेहमी में था कि किस्मत बदल रही है,
अबकी कुछ हौले से ये चाल टेढ़ी चल रही है,
नई उम्मीद लिए नया कल जीने की सोच रहे थे जब,
तो समझे ये गुज़रे कल की नकल कर रही है।
ये बात अब इबारत सी छप जानी चाहिए मेरे दिल पे,
हमारा इंतेज़ार होता नहीं है किसी महफिल में,
हमारी गुस्ताख हसरतें हो के लहरों पे सवार कहीं चली जाती है,
और हम खड़े रहते हैं उन्हें देखते हुए साहिल पे।
गुनाह किसी का नहीं अपना है,
बिना हक के तू क्यों देख रहा सपना है,
मुकद्दर में सुकून तेरे लिखी है न जाने कब,
किस उम्मीद में है तू, तुझे अभी तड़पना है।
डर की एक दीवार के पीछे खुद को कैद कर चुका हूं,
उम्मीद की एक रोशनदानी थी उसे भी भर चुका हूं,
कभी कभी साँस ले उठती है अंगड़ाई भर उम्मीद,
मैं उसे याद दिला देता हूं की अब मैं मर चुका हूं।

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28 FEB AT 1:45

मैंने टटोला जहां,
और समेट ले आया....
अपनी सारी अधूरी ख्वाहिशें,
मरहूम जज़्बात,
मुकम्मल शिकस्त,
और हकीकत के हाथों हलाल हुई हसरतें....
और
आंखों की बेरंग लहू सी स्याही से,
आखें भींच के पलकों की कलम से,
लिखा एक भारी लफ्ज़,
एक जिंदगानी, एक सफरनामा,
हर दर्मियां के परे एक अनकही दास्तान....
"काश"।

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23 JAN AT 22:23

अंधेरे की आदत कुछ इस कदर हो चुकी है,
की उजाले से अब खौफज़ादा रहता हूं,
रोशनी खुशियों सी बेवफ़ा है बिछड़ जाती है तोड़कर,
मैं अंधेरों की वफ़ा में सुकूं से गमज़दा रहता हूं,
रोशनी पल भर को जिला देती है बस,
मैं अंधेरे में बेहतर एक अरसे तक मरहूम रहता हूं,
एक मिटती हुई इबारत है, छलावे सी तासीर खुशियों की,
मैं पत्थर की लकीर हूं, गम में अंधेरों में बेहतर मर्क़ूम रहता हूं।

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31 DEC 2023 AT 20:33

घने कुहासे में जलना होगा,
कोहरे को चीर निकलना होगा,
हो धुंध की दीवारें ऊंची कितनी,
हिम्मत की लौ में उसे पिघलना होगा,
कायर की कौम नहीं हैं हम,
संघर्ष में ही अब हर्ष होगा,
खैरात का अरसा बीत चुका है,
नए दौर का यह नव वर्ष होगा।

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16 OCT 2023 AT 3:27

बात कहनी ही पड़ जाए, तो फिर क्या ही बात है....
जो खामोशी समझे कोई, तो कुछ बात हो।

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5 JUN 2023 AT 23:43

जैसा तुमने चाहा था मैंने वैसा तुमको खोया है,
जितनी तुम मुझमें बाकी हो मुझे उतना भी तुमको खोना है,
न अपनाया कभी मुझको तुमने तो खोया तुमने मुझको कब,
तो अपनाना मुझे है अब खुदको, अब मुझे खुद को अपना होना है।

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