Ashutosh Ehsaan Joshi   (©ehsaansir)
760 Followers · 41 Following

read more
Joined 1 May 2018


read more
Joined 1 May 2018
9 FEB 2022 AT 9:21

कितना तो पैसा रहता है शायर की जेब में
कहां से लाऊंगा तुझे ये महंगी चॉकलेट मैं— % &

-


7 FEB 2022 AT 10:52

मैं अब भी पुराने दौर के ख़्वाब देखता हूं
चिठ्ठी में लपेटकर तुम्हें गुलाब भेजता हूं
— % &

-


24 NOV 2021 AT 19:25

मुझे कभी देना चाहो उपहार तो
वह किताब देना , जो
तुमने पढ़ी हो गहन आत्मीयता से
और उन शब्दों को अंडरलाइन किया हो
जिन्होंने छुआ हो हृदय तुम्हारा ।

और अगर नहीं पड़ी किताब कोई तो
पढ़ लेना मेरी खातिर वह किताब जो
अंडरलाईन करके मैंने दी है तुम्हें ।
ये अंडरलाईन की हुई रेखाएं बस रेखाएं नहीं हैं
ये छोटे छोटे संकरे रास्ते हैं मेरे दिल तक आने के I

-


15 OCT 2021 AT 16:45

मिलने की आरज़ू है मिलना नहीं हुआ
एक शक्स सदी बाद भी अपना नहीं हुआ

बच्चों की तरह रो पड़ूं मिल जाए कहीं तो
खुशियों से कबसे मेरा सामना नहीं हुआ

ये बात यूं तो है नहीं कहने की फिर भी कहता हूं
बात है कि बात का कहीं बांटना नहीं हुआ

अब घोंसले में चैन मुझे आता ही नहीं
वो पंछी ही क्या जिसका घर आसमां नहीं हुआ

-


11 OCT 2021 AT 21:02

कई ज़ख्म हैं बेचारे दिल पे मेरे पर
दूर से दिखता है जो ज़ख्म तुम्हारा है ,

नाम भी नहीं ले सकता है तुम्हारा
इश्क में आदमी कितना बेचारा है

मन भर गया है अब इन ऊंची ऊंची लहरों से
जाने कितनी दूर जिंदगी का किनारा है

बहुत खूबसूरत लिख रहा है गजल ?
हां यही लड़का तो किस्मत का मारा है ।

-


21 MAR 2021 AT 12:49

कविता
कोरे कागज पर
कोरे शब्द नहीं हैं ,

ये शब्द जीवन हैं
ये मात्राएं अनुभव
आगे पीछे जुड़कर
ये मात्राएं
जीवन को
सार्थकता देती हैं ।

-


14 JAN 2021 AT 19:22

सदियां हो गयी हैं यूं ही फिर रहा हूं मैं
अब तो लगने लगा है शायद यहां गुमशुदा हूं मैं

हर शख़्स अपना ही रूप लगता है कभी
और कभी लगता है कि सबसे जुदा हूं मैं

मेरी आदतें इस छोर से उस छोर तक हैं
कभी शैतान लगता हूं और कभी खुदा हूं मैं

एक सदी तक प्रेम की पाठशाला में सोया रहा
दुनिया नई है मेरे लिए, अभी अभी उठा हूं मैं



-


8 DEC 2020 AT 22:24

कोई एक बात हो तो बताऊं तुम्हें
मेरे भीतर हाहाकार है क्या दिखाऊं तुम्हें

अब और छिपाए छिपते नहीं छोटे से दिल में इतने दर्द
तुम अपना आंचल दे दो न छिपाऊं इन्हें

वक्त ने मेरे दिल पर कई कील ठोकी हैं
तुम दर्द की चारासाज़ हो ये दिल दे जाऊं तुम्हें

ये जो मेरे अपने हैं चाहते हैं मैं हंसता ही रहूं
खुदा के क्या इरादे हैं क्या समझाऊं इन्हें

मेरे पास पत्थरों की बनी एक हवेली है
घर बना दोगी इसे , ब्याह लाऊं तुम्हें ?

-


16 AUG 2020 AT 19:17

है अगर हुनर तो दीवारों से पूछ लो
घर में कौन रहता है . मैं या मेरी लाश!

-


19 JUL 2020 AT 20:45

हम लोग ,
कभी अगर ,
किन्हीं लोगों के खातिर . . .
पलभर सोचें

बहुत मजा नहीं है ,
जीवन का उनके बगैर ,
आओ उन्हीं की खातिर . . .
मरकर देखें

-


Fetching Ashutosh Ehsaan Joshi Quotes