चाह
तुझे उड़ने की आशा है अगर,
तो पंख फैलाने की चाह नही छोड़ना।
तुझे मंजिल पर पहुंचना है अगर,
तो सपने देखने की चाह नही छोड़ना।
समय इम्तिहान लेता है अगर,
तो चलते रहने की चाह नही छोड़ना।
हार मिले किसी पल जिंदगी में अगर,
तो जीत की चाह नही छोड़ना।
बीच रास्ते पर सब साथ छोड़ देते हैं अगर,
तो जीने की चाह नही छोड़ना।
तुझे खुद पर विश्वास है अगर,
तो कुछ कर दिखाने की चाह नही छोड़ना।
- आशुतोष भारती