मैं बेहद कम बोलता हूं उनसे जिन्हें नहीं जानता हूं, हां ना में जबाव देता हूं जिन्हें दूर से जानता हूं, बहुत सारा बोलता हूं उनके सामने जिन्हें करीब से जानता हूं, मगर कभी कभी लगता हूं मैं किसी को नहीं जानता हूं, मैं बेहद कम बोलता हूं....
मुस्कराता चेहरा,शरारे आखों में, कितनी लज़्जत है तुम्हारी बातों में, नज़रें कहीं पे भी पड़ें तुम्हें देखें, मेरे ज़हन की तहें तुम्हें ही सोचें, तुम मेरे खयालों की गहराई में हो, तुम मेरी नज़रों की बिनाई में हों, तुम्हें मालूम नहीं है ये सब जानां, और मैं भी नही चाहता बतलाना, तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगता है, और इन सब बातों इक मुकद्दस दायरा है, ज़माने के लिए मोहब्बत तंगदिली है, और दीवानों लिए तो इश्क़ जिंदगी है।