अड़ी! तू क्या पई गुलेंदी है
वल वल खोल तू बारी तों तकदी
वत बुहा कोल पई वेंदी है
डेंह वेले कदी किथई खलोती
कुई सोच सुचेंदी रहंदी है
राती वी तू निन्दरा दे विच
नां कहीं दा तां अलेंदी है
पुछदा कुई जद हा विच क्या है
खिल खिल कूड़ मरेंदी है
लोक आदेन तू थी गई कमली
दोह ऐंझा क्यों चेंदी है-
हम सब में एक कवि रहता है। 💛💛
നമുക്ക് പോകാം
അവിടെ പോകാം
നീയും ഞാനും എവിടെ
നമുക്ക് എപ്പോഴും പോകാം
-
मी तुला सोडून जाईन
असा कधीही होणार नाही
तुझ्या मन आहत असेल
चुकलं अशी करणार नाही
जे साथ जोडले तुझ्या सोबतं
आता दुसऱ्या सोबतं जोडणार नाही
उभा राहीन तुझ्याबरोबर
सोडून तुला जाणार नाही
तू मला सोडू जाशील
अशी काळजी घेणार नाही
तू पण माझा साथ करशील
हे गोष्टं कधीही विसारणार नाही-
थी सगे थो तुहिंजा माण्हू मुहिंजा माण्हू सा अलग आ
थी सगे थो तुहिंजी बोली मुहिंजी बोली में फरक आ
फर्क डाढो नाहे सुहिणो, तुहिंजे मुहिंजे दरम्याने
तुहिंजे पेरन में वी धरती, माथे मुहिंजे वी फलक आ
राग अलग आ हुन गीतन जा, जेहड़े पहिंजे लॿ ते आहिन
ॻज़लन में जेहड़ा लफ्ज़ लिखन होया, हू वी पहिंजा पहिंजा आहिन
सत सुरन जो फर्क मिठड़ो, काने थ्ये थो काने थींदो
मुहिंजे सुर में प्रीत आहे, तुहिंजे सुर में वी इशक आ
दीन मजहब ऐं जात पात जो, भेद केहड़ो फर्क केहड़ो
पहिंजी धरती साझी दुनिया, छा लाइ फिर थ्ये थो झेड़ो
पहिंजी दिलन जी हिकड़ी धड़कन, हिक्क ही पहिंजो दिल जो दर्द आ
तूं वी इंसां मा वी इंसां, इंसां वीच को भेद ॻलत आ-
କରି ପାରିବି ନାହିଁ ମୁଁ ନିଜେ ସହିତ ଏହିଭଳି ଅନ୍ୟାୟ
କେମିତି ହେବ ମତେ ଏହିଠାରୁ ଜାଇ ପାରିବ
ତତେ ଚାହୁଁଛି ମୁ ନିଜେ ପ୍ରାଣଠାରୁ ଅଧିକ
କେମିତି ଛୋଡ଼ି ପାରିବି ତତେ ଭଲ ପାଇବ
ରହି ଯା ସମୟ ଏହି କ୍ଷଣରେ
ଦିୟନ୍ତୁ କିଛି ସମୟ ତାଙ୍କୁ ଦେଖିବା ପାଇଁ
କାହିଁକି ଚାଲି ପାରିବ ନାହିଁ ଆସ୍ତେ ଆସ୍ତେ
କଣ ଚାହୁଁଛ ମୁଁ ପ୍ରାଣ ହେରେ ଜାଇ?
ଏବେ ଯିବା କୁ ହି ହେବ ମତେ
ତତେ ଗୋଟେୟ କ୍ଷଣ ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ଭୁଲିବି ନାହିଁ
ପୁଣି ଫେରି ଆସିବି, ପରନ୍ତୁ ସେ କ୍ଷଣ ପର୍ଜନ୍ତ
ପ୍ରତୀକ୍ଷା କରିବି ତତେ ଦେଖିବା ପାଇଁ-
जिथां कट्ठे चुल्ले थींदे हन
उथां हा दा वंडारा क्यों थी गये
हिक बे नाल रल बणदे हन असां
मैं मैं थी गया, तै तै थी गये
जो प्यार हन साडे कोल कढई
ऐंझा क्या थी गये, तै सब भोल गये
रिश्ते नाते, आड़ गवांड़
हिक पल विच ही निखड़ गये
हिक छिक के लकीर वंडारे दी
भिरा भिरा दुश्मन थी गये
-
असा कायं पाहिले मी तुझ्या डोळ्यात
असा वाटते झाले जादू कोणतीही हृदयात
उजळे डोळ दिसते असे तुझ्या चेहऱ्यावर
जणु दोन्ह रवि निघले आज आकाशावर
असा कायं ऐकले मी तुमचे स्वरात
वाटते कोकिळा बोलत होती कोणतीही वनात
ज्या क्षण तू थांबली होती मार्गच्या किनाऱ्यावर
त्या क्षण पण थांबा आहे माझी स्मृतीवर-
কত কথা লুকাছি বুকের মাঝে
কাউ কে বলতে চাই কিন্তু বলতে পারছি না
কত স্বপ্ন আছে দুইচোখের মধ্যে
পুরণ করতে চাই কিন্তু করতে পারছি না
কত রাগ আছে আমার মনে ভীতরে
সবাই কে দেখিয়ে শেষ করতে পারছি না
বন্ধু, শুধু তোমার থেকে শেষ আশা আমার
কি তুমি আমার ব্যাথা বুঝবার চেষ্টা করবে?-
कुई गाल्ह हुण हा ते क्यों रखणे।
छोड़ के तेडा शाहर असांकू टुर वञणे।
क्या घिद्दोई क्या डितोई, तै नाल डू पल संग कितोई।
जिंदगी वाली किताबें वेच ही कहाणी सट घतोई।
खुलसेन पन्ने वत वी जेकर, लगसी तै वल जाद कितोई।
तै कनूं हुण क्या घिन्नणे, हुण असांकू क्या डेवणे।
छोड़ के तेडा शाहर असांकू टुर वञणे।
कुझ मंदा थये, तां थी ही गये।
जो चङा हई, ओ जाद रखणे।
तू लभदे फिरे, मैं ना मिलसां।
तू कूक डेवे, मैं ना वलणे।
छोड़ के तेडा शाहर असांकू टुर वञणे।-