*अहंकार"और संस्कार में*
*फर्क है अंहकार दूसरे*
*को "झुकाकर" खुश*
*होता है संस्कार स्वयं*
*झुककर खुश होता है.*
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*गलत लोग आपकी "अच्छाई" से भी "नफरत" करते हैं,*
*और*
*सही लोग आपमें बुराई जानकर भी आपसे "प्यार" करते हैं।*
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*मैंने वक्त से पुछा...*
*आज के दौर में इन्सान का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है,*
*वक्त मुस्कुरा कर बोला...*
*" इन्सान की अच्छाई "*
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*विचार और व्यवहार*
*हमारे बगीचे के वो फूल है,*
*जो हमारे पूरे व्यक्तित्व को महका देता है*
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*सही कर्म वह नहीं है,*
*जिसके "परिणाम"*
*हमेशा सही हो....!*
*सही कर्म वह है ,*
*जिसका "उद्देश्य" कभी*
*गलत ना हो*
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Jab Apne hi sharm se najar niche karvate Hain to maja hi kuchh aur aata hai Dushman ki bhi jarurat nahin padati samaj mein kuchh kahane ki
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Kuch Logo Ko Dikhawa Karna Acha Lagta Hai Ki Mai Bahut Sarmili Ho Actual Mein Unko Shoff Karna Rahata Hai Reality Kuchh Aur Hota Hai Sab Karna Hota Hai Par Kissi Ko Pata Na Chale Ki My Kissi Se Relation Hai Ye Kissi Ko Pata Na Chale Par Sachai Kahi Na Kahi Pata Chal Jati Hai Kiw Ki Sachai Aaj Nhi To Kal Pata Chal Jaiga Hi.....??
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गलती होने पर साथ छोड़ने वाले तो बहोत मिलते है जिंदगी में,
अगर कोई गलती सुधारना सिखाए तो कोई बात हो— % &-
*किसे पता था,*
*एक दिन ये भी हौसला करेंगे,*
*बैठेंगे कुछ इंसान,*
*और भगवान का फैसला करेंगे॥*-