बात-बात पर यूँ दिल दुखाना क्यों है, जो ना समझे तुम्हें...
उन्हें बार-बार समझाने में वक़्त गंवाना क्यों है, रहने दो मग्न उन्हें उनकी दुनियाँ में... उन्हें अपनी दुनियाँ का हिस्सा बनाना क्यों है।-
जिससे भी मिलिये.. मोहब्बत से मिलिये..!!
लोग बताते नहीं.. मगर तन्हा बहुत हैं..!!
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"कर्म"
एक ऐसा रेस्टोरेंट है जहां आर्डर देने की जरुरत नहीं है, हमे वही मिलता है जो हमने पकाया है..!!-
भगवान न लड्डू खाते हैं, न कचौड़ी खाते हैं, ये सब तो तुम खाते हो, भगवान तो केवल दो ही चीज़ खाते हैं.. जब मीठा खाने का मन होता है, तो किसी भक्त का भाव खा जाते हैं, और जब तीखा खाने का मन होता है, तो दुष्ट का अभिमान खा जाते हैं।
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कुछ चीजे निकट जाने पर बिना मांगे ही मिल जाती है, जैसे अग्नि से गर्माहट, बर्फ से शीतलता, और फूल से सुगंध। इसीलिए ईश्वर से भी कुछ मत मांगिए, बस उनसे निकटता बढ़ाइए, सब कुछ बिना मांगे ही मिलने लगेगा..!
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प्रेम क्या है... ?
रोज आंखें खुलते ही जिसकी याद आए वो है प्रेम, जिसकी आवाज सुनने के लिए सारा दिन इंतजार रहे वो है प्रेम, जिससे झगड़ा करने के बाद भी उसके मनाने का इंतजार रहे वो है प्रेम, किसी की बातें सोचकर आपके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए वो है प्रेम, पूरी दुनिया की खुशी में भी एक इंसान की कमी आपको उदास करे वो है प्रेम..!-
खास होने का भ्रम ना पाले, आपको पा कर भी लोग आपसे बेहतर की तलाश में रहते है
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बदल जाते हैं वह लोग वक्त की तरह, जिन्हें हद से ज्यादा वक़्त दिया जाता..
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