Ashu Jaiswal   (-©Ashu Jaiswal)
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Joined 24 October 2017


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Joined 24 October 2017
26 DEC 2019 AT 21:30

तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है
सुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता है

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है

रात हमारे साथ तू जागा करता है
चाँद बता तू कौन हमारा लगता है

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8 DEC 2019 AT 11:52

ये हाल , राधा देखकर के यमुना का,
मिलने नहीं आती वहां अब श्याम से ।

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5 DEC 2019 AT 18:48

फिर दोहराई आज गलती मैंने वो,
उसको पुकारा मैंने तेरे नाम से ।

Phir dohrayi aaj galti maine wo,
Usko pukara maine tere naam se.

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2 DEC 2019 AT 19:35

मुझको मोहब्ब्त में नहीं उसकी वफ़ा की आरज़ू ,
मेरी मोहब्ब्त है मिरा दिल टूटना ही चाहिए ।

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21 NOV 2019 AT 19:03

पत्ते सभी अब गिर गए उस पेड़ से,
सारे परिंदे अब डरे उस पेड़ से।

इक गैर मजहब इश्क कल पकड़ा गया,
सो दो बदन लटके मिले उस पेड़ से ।

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19 NOV 2019 AT 15:36

थी इश्क की बातें सभी , था इश्क कहने के लिए ।
अब फूल कोई क्यों लड़ेगा एक पत्ते के लिए ?

तस्वीर खींची थी कभी जो सूट में मैंने तिरी,
तूने वही फोटो हैं भेजी जान रिश्ते के लिए ।

जिसको उड़ा के ले गई है इक हवा जो संग में,
बादल तरस के रह गया है वो बरसने के लिए ।

दरिया मिला है जेंब में उसकी पियासा जो मरा ,
उसने बचा के सब रखा था दूर रस्ते के लिए ।

वैसे तिरी मर्जी चलेगी बात पर ये जान ले ,
तू छोड़ कुछ अच्छा रहा है देख सस्ते के लिए ।


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31 OCT 2019 AT 11:02

भले तुमको नहीं देता दिखाई इस शहर से पर,
तुम्हारे गांव को भी एक रस्ता जा रहा होगा ।

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16 OCT 2019 AT 12:05

नाम के रिश्तों में मेरा नाम क्या है ?
फोन पर सीधे कहो ना काम क्या है ?

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12 OCT 2019 AT 23:56

तुम्हें तो मिल गया कोई सितारा क्या करूंगा मैं ?
मुझे तुम दे गए हो दर्द सारा क्या करूंगा मैं ?

जरूरत है मुझे सर्दी में कम्बल की बताओ तुम,
अगर गर्मी में लौटीं तो तुम्हारा क्या करूंगा मैं ?

अगर मुझको बचा लो वक़्त रहते तुम तो अच्छा है,
गया जब डूब तो पाके किनारा क्या करूंगा मैं ?

बचेगा सांप का काटा अगर कोशिश करोगे तो,
मुझे है इश्क ने काटा गुज़ारा क्या करूंगा मैं ?

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11 OCT 2019 AT 16:42

करो ना यार तुम मेरा यकीं मुझसे नही होगा ।
रहूं मैं दूर तुमसे हम-नशीं मुझसे नही होगा ।

मजा है इश्क में उतना, रखेंगे हम सब्र जितना
मगर ये हसरतें अब कह रहीं मुझसे नही होगा ।

मुखालिफ जहन तो है ही मगर दिल भी नही कुछ कम ,
मैं रुकूँ चूम के कैसे जबीं मुझसे नही होगा ।

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