Ashraf Shekh   (Ashraf)
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Theatre artist and creative writer,love to communicate,meet to motivate
Joined 13 April 2019


Theatre artist and creative writer,love to communicate,meet to motivate
Joined 13 April 2019
1 JAN 2022 AT 22:25

हाथ में मेरे रक्खा जाम
डूब रहे हैं बीते गम में
तुम गुज़रे कुछ ऐसे हम में
याद नही कुछ क्या कहना है
तुम जो नहीं तो सब सहना है
कांप रहा है मेरा हाथ
और लबों पे तेरा नाम...
बोल न पाएं
कह न पाएं
बस सब से तुमको हैं छुपाए।।

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13 NOV 2020 AT 22:52

Nobody will stay forever...
You are here for your own
Love your soul
And be together

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12 NOV 2020 AT 21:01

सिर्फ तुम हो,
मैं हूँ...
और हो थोड़ी सी बात।
दिन हो या रात,
अच्छे न भी हों
वक्त और हालात..
बस थोड़ी सी तुम हो
और तुम्हारा साथ।
फिर दिन के उजाले न हों कभी
यूँ ही गुज़र जाए हर रात।

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8 NOV 2020 AT 22:02

लिखना सुकून देता है..
कुछ तो है जो हो रहा है।
बस पढ़ती रहो,
अभी दरिया सो रहा है।
इस लिखने में शामिल है तुम्हे पढ़ते रहना
जैसे तुम हो एक "बात",
और घंटों कहते रहना।

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8 NOV 2020 AT 21:56

मन की शांति..
खोज में तुम्हारी,
घूमा दर दर
हर एक रास्ते पर।
जो सुकून न मिला कहीं पर
तो जाएँ हम फिर किधर...
बस अब थम जाएँ..
तुम्हारा इंतज़ार करें कि बस...
अब घर जाएँ।।

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7 NOV 2020 AT 22:31

जो भी हुआ।
मैं खुद में नहीं था
जो भी रहा।
बस सुनती रही वो
जो भी कहा।
तुम हो बस..
फिर और कुछ न रहा।।

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7 NOV 2020 AT 22:21

बारिश की हल्कि फुहारें
उतरती हैं खिड़की के काँच से...
तुम्हारी आँखें कुछ कहती हैं,
लफ्ज़ हो जाते हैं राख
तुम्हारी साँसों की आँच से।।

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6 SEP 2020 AT 21:31

फिर से सब प्रारंभ किया।
जो भी पिछला बीत गया था
जो कुछ भी था छूट गया था।
इतने सारे यत्न किये थे,
पर सपना था टूट गया था।
एक नई शुरुआत हुई है,
पर मैंने न दंभ किया।

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31 AUG 2020 AT 23:21

एक दिया जो था,
अब नहीं है।।
रौशनी है मंज़िल में,
वो जो साथी था,
अब नहीं है।।

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22 JUN 2020 AT 15:53

जो कहना है कह जाओ...
कब तक यूँ सहते ही रहोगे
बिन धारा बहते ही रहोगे,
मन में जो हैं वो कुंठाएं
जीवन भर की सब शंकाएं,
मुक्त करो,अभिव्यक्त करो।

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