हाथ में मेरे रक्खा जाम
डूब रहे हैं बीते गम में
तुम गुज़रे कुछ ऐसे हम में
याद नही कुछ क्या कहना है
तुम जो नहीं तो सब सहना है
कांप रहा है मेरा हाथ
और लबों पे तेरा नाम...
बोल न पाएं
कह न पाएं
बस सब से तुमको हैं छुपाए।।-
Nobody will stay forever...
You are here for your own
Love your soul
And be together-
सिर्फ तुम हो,
मैं हूँ...
और हो थोड़ी सी बात।
दिन हो या रात,
अच्छे न भी हों
वक्त और हालात..
बस थोड़ी सी तुम हो
और तुम्हारा साथ।
फिर दिन के उजाले न हों कभी
यूँ ही गुज़र जाए हर रात।-
लिखना सुकून देता है..
कुछ तो है जो हो रहा है।
बस पढ़ती रहो,
अभी दरिया सो रहा है।
इस लिखने में शामिल है तुम्हे पढ़ते रहना
जैसे तुम हो एक "बात",
और घंटों कहते रहना।-
मन की शांति..
खोज में तुम्हारी,
घूमा दर दर
हर एक रास्ते पर।
जो सुकून न मिला कहीं पर
तो जाएँ हम फिर किधर...
बस अब थम जाएँ..
तुम्हारा इंतज़ार करें कि बस...
अब घर जाएँ।।-
जो भी हुआ।
मैं खुद में नहीं था
जो भी रहा।
बस सुनती रही वो
जो भी कहा।
तुम हो बस..
फिर और कुछ न रहा।।-
बारिश की हल्कि फुहारें
उतरती हैं खिड़की के काँच से...
तुम्हारी आँखें कुछ कहती हैं,
लफ्ज़ हो जाते हैं राख
तुम्हारी साँसों की आँच से।।-
फिर से सब प्रारंभ किया।
जो भी पिछला बीत गया था
जो कुछ भी था छूट गया था।
इतने सारे यत्न किये थे,
पर सपना था टूट गया था।
एक नई शुरुआत हुई है,
पर मैंने न दंभ किया।-
एक दिया जो था,
अब नहीं है।।
रौशनी है मंज़िल में,
वो जो साथी था,
अब नहीं है।।-
जो कहना है कह जाओ...
कब तक यूँ सहते ही रहोगे
बिन धारा बहते ही रहोगे,
मन में जो हैं वो कुंठाएं
जीवन भर की सब शंकाएं,
मुक्त करो,अभिव्यक्त करो।-