फिर एक बार जानबूझकर..
मौत का कारोबार करने चला हूँ..
हाँ! मैं फिर किसीसे प्यार करने लगा हूँ।
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तेरे जाने के बाद किसी और का न हो सका मैं..
मुझे मिले बहुत मगर किसी और का न हो सका मैं..
और ऐसा नहीं कि कोशिश नहीं की मैंने..
पर लाख कोशिशों बाद भी..
तेरे बाद कहीं और मुहोब्बत न कर सका मैं।
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तुम कितना भी दूर जाना चाहो मुझसे..
मगर रहोगी यहीं कहीं पास मेरे..
मैंने अपनी कविताओं में तुम्हें लिक्खा है..
और मैं तुम्हारा तो नहीं परतुं..
अपनी कविताओं का मालिक अवश्य हूँ।
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कोई फायदा नहीं तुम्हारे हूर होने का..
बस गम ही गम है तुम्हारे दूर होने का..
अब एक तुम ही न मिल सको अगर..
तो क्या फायदा हमारे मशहूर होने का।।
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आने वाली पीढ़ी को..
प्रेम करने की सलाह देना..
उतना ही जरूरी होगा..
जितना जरूरी होता है..
जीने को "रोटी-कपड़ा और मकान.."
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यदि जाना हो तुम्हें..
तो चले जाना..
और छोड़ जाना..
मेरे पास..
बस वो लम्हें..
जो गुजरे हमारे बीच बेहतरीन से..
और ले जाना सारी उम्मीदें..
तुम्हारे वापस आने की..
क्योंकि..
उम्मीदें बिखेरती हैं..
और तुम्हारे जाने के बाद..
निश्चित ही..
मुझे संभलना होगा।
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बांध रक्खा है मुझे..
कुछ वक्त ने..
कुछ हालातों ने..
ठीक वैसे..
जैसे बांधता है एक बांध नदी को..
मगर जल्द तोडूंगा मैं..
छोटे-बढ़े..
बुरे वक़्त के..
बुरे हालातों के..
सभी बन्धनों को..
एक दिन..
ठीक वैसे..
जैसे एक दिन..
हर एक नदी तोड़ती है हर बांध को..
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एक वक्त तलक होता है, हर इक शख्स आवारा..
जब तलक न हो जाए एहसास कि "जिंदगी न मिलेगी दोबारा.."
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मैंने इश्क़ किया, मगर इश्क़ पाने को तरस गया मैं..
एक ही शख्स से ताउम्र मुहोब्बत की मैंने..
और शायद , बस इतना ही गलत कर गया मैं..
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इस बार तुम्हें आँखों में भरने की तमन्ना है..
अबके तुम आओ तो जरा ठहर कर जाना..
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