बस झलक ही तेरी पाते हैं
ऐसे इठलाकर घर से न निकलाकर
हम ग़स खाकर ही गिर जाते हैं-
अब रोना-धोना बन्द करो
और सेना को स्वछंद करो
हम कितनी जान गंवाएंगे
आतंकवाद का अंत करो
चाहे वो हाफिज सईद हो
या हो शैतान बुरहान वानी
है खून बहुत क़ुर्बान किया
अब याद दिलाओ इनको नानी
-
बहुत खो लिया और खो रहे
कश्मीर की अपनी घाटी में
खून भी अपना खूब बहाया
कश्मीर की अपनी माटी में
पर अब देखेंगे कितना दम है
उनकी या अपनी लाठी में-
जब से पैसे कमाने का ज्ञान हुआ
मैं खुद के घर में खुद मेहमान हुआ
अब तीज-त्योहारों पर ही जाना होता है
बस इसी तरह भविष्य को कमाना होता है-
गर्व है इस माटी में जन्म हुआ
इसी में पला-बड़ा इसी में है मरना
बस ईश्वर से यह ही प्रार्थना है कि
अगला जन्म भी इसी माटी में करना-
कुछ से सीखा तो कुछ
मुझसे ही सीखकर मुझे सिखा गए
जिनसे सीखा वो तो थे ही "गुरु"
पर जो सिखा गए वो बहुत बड़े निकले..-
मेरा दिल तुम्हारे पास है
तुम मानो या न मानो
तुम्हारी यादों का सहारा बड़ा खास है-
1- लगातार सत्कर्म कर आगे बढ़ते रहना
2 - अपने कर्मों को ईश्वर को समर्पित करते रहना
3 - हर परस्थिति को सहस्त्र स्वीकार करना-
पहला गुरु ये "जीवन" मेरा
दूजी ये प्रकृति है
इन सबके बर्ताव से ही
बनी ये मेरी वृत्ति है-