Ashok Kumar Jiwrajka  
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Joined 3 October 2019


Joined 3 October 2019
27 JAN AT 6:48

केवल अपने लिए जीना हो तो बेकार जीना,
जीना सार्थक है, जब समाज के लिए जीना,
केवल गम के लिए पीना हो तो बेकार पीना,
पीना सार्थक,जब प्यास तृप्ति के लिए पीना।

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23 JAN AT 21:48

तन से तन का मिलन अल्पकालिक है,
तन के मिलन से वितृष्णा हो सकती है,
मन से मन का मिलन दीर्घकालिक है,
मन का मिलन जन्मों तक याद रहता है।

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16 JAN AT 22:35

आवाज़ और प्रतिध्वनि भी वहीं है, पर वो नहीं है,
हरी धरा और नीला गगन भी वही, पर वो नहीं है,
छाया और परछाई उसकी है, पर दिखता नहीं हैं,
सड़क और लोग भी वही है , पर वो क्षितिज में है।

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2 OCT 2024 AT 14:52

बेलचा बन, छुरी बन, कांटा बन,
सब - कुछ बन पर चमचा न बन,
गुंडा बन,रगंवाज बन शरीफ़ बन,
सब- कुछ बन पर नशेड़ी न बन,
व्यापारी बन,उद्यमी बन नेता बन,
सब- कुछ बन पर बेईमान न बन,
डाक्टर बन,वकील बन, सीए बन,
सब- कुछ ‌बन पर दुश्मन ना बन।


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1 OCT 2024 AT 20:30



Cal dinank 2 October budhwar ko aprahan 7:00 baje lallu Babu ki dharmshala mein Indian rate society ki Bhagalpur shakha ki ek baithak aahut ki gai hai jismein aapse anurodh hai ki bhag Lene ki kripa karenge

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19 SEP 2024 AT 7:54


दूसरों की भलाई करने वालों को सुनने मिलता है,
पीढ़ी- दर- पीढ़ी का व्याख्यान या टीका टिप्पणी ।
एक हिस्ट्रीशीटर और राउडी शीटर को मिलती है,
चुनावों में जीत या सामाजिक प्रतिष्ठा या प्रशंसा ।
शरीफों की शवयात्रा में 100 - 5 0 व्यक्ति जुटते हैं,
हिस्ट्रीशीटर की शवयात्रा में शामिल होते हजारों ।

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11 SEP 2024 AT 20:15

एक बात हमेशा याद रखें कि वो कभी आपकी
VELUE नहीं रखेगा जिसके लिए आप हमेशा
AVAILABLE रहते हैं.............................................।
दूसरी बात सदा के लिए भूल जाएं कि किसी ने PAST में आपको कभी उत्पीड़ित किया हो या
DISDAIN किया हो...............................................।

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6 SEP 2024 AT 10:07

वो दिल कहां से लाऊं, जो मेरी स्मृति भूला दें,
वो दवा कहां से लाऊं, जो तेरी बीमारी भगा दें,
वो भाव कहां से लाऊं, जो तेरी नफरत मिटा दें,
वो प्यार कहां से लाऊं, जो बनावटी हंसी हटा दें।

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2 SEP 2024 AT 23:23

आज तक कोई मेरी वेदना नहीं समझ पाया,
क्योंकि मुझे आदत है, कृत्रिम मुस्कराहट की,
आज तक मैंने उनका असली रूप नहीं देखा,
क्योंकि उन्हें आदत है कई मुखौटे पहनने की।

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31 AUG 2024 AT 16:16

दूसरों को उतना ही प्रेम दीजिए जितना वह संभाल सकता है।
दूसरों को निस्वार्थ भाव से दिया गया प्रेम छल लग सकता है। दूसरों से उतनी ही दया कीजिए जिसे वह संभाल सकता है।
दूसरों से निःस्वार्थ की गई दया उसे अपमान लग सकता है।

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