Ashok Khichad Bishnoi   (@Unstoppable_AB)
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आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।
Joined 18 July 2017


आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी।
Joined 18 July 2017
2 OCT 2021 AT 22:47

राहे जहाँ तक जायेगी, राहगीर वहाँ तक जायेगा
तुम दरिया से क्या पूछ रहें, नीर कहाँ तक जायेगा ।
अरे! खीच धनु की डोर, निशाना साधो अपनी मंजिल का
बाकी बाद में देखेंगे की तीर कहाँ तक जायेगा ।।

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1 MAY 2021 AT 2:23

कोई क़िस्त है जो अदा नहीं हैं
साँस बाक़ी है और हवा नहीं हैं

नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम
प्रिस्क्रिप्शन है पर दवा नहीं हैं

आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के
मंज़र सचमुच अच्छा नहीं हैं

हरेक शामिल है इस गुनाह में
क़ुसूर किसी एक का नहीं हैं

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29 APR 2021 AT 3:16

कभी-कभी,
जब मैं कहता हूं कि "मैं ठीक हूँ"
मैं चाहता हूं कि कोई मुझे कसकर पकड़ ले,
मेरी आंखों में देख कर कहे कि
"नहीं, मुझे पता है कि तुम नहीं हो"

- Paulo Coelho

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1 JUL 2020 AT 10:20

उजले-उजले कपड़े पहने, उजली-उजली नीयत वाले
उजली हैं इनकी हिम्मत भी, उम्मीद के उजले रखवाले

ये डॉक्टर, नर्स, स्वीपर हैं ये वार्डबॉय, कम्पाउंडर हैं
सन्नाटा चीरती सड़को पर ये एंबुलेंस के ड्राइवर हैं

इन खौफ़ भरे दिन-रातों में उजले मन से ये डटे हुए हैं
अपने घर-परिवारों से सब औरों की खातिर कटे हुए हैं

मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों पर दहशत के ताले पड़े हुए हैं
इक बस इनके दरवाजे ही तो हर इक की खातिर खुले हुए हैं

धड़कन के पहरेदार हैं ये, चौबीस घंटे तैयार हैं ये
बीमारी के हर हमले पर इंसानों का हथियार हैं ये

जैसे जवान हो सरहद पर वैसे ही तो तैनात हैं ये
बीमारों की खातिर ये तो भगवान की इक सौगात हैं ये

''अशोक'' का आहवान हैं आज इनके नाम इक संदेश लिखें
इनकी अनदेखी कोशिश को आओ मिलकर इक नाम लिखें

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3 MAY 2020 AT 16:15

आज फ़िर मेरी आँखों में नमी सी क्यूं हैं
किसी की याद में ये धड़कन थमी सी क्यूं हैं
कोई रिश्ता नहीं रहा अब हमारे बीच
फ़िर बेवजह तेरी ये कमी सी क्यूं हैं

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16 MAR 2020 AT 6:20

ख़ुद में रह कर वक़्त बिताओ तो अच्छा है,
ख़ुद का परिचय ख़ुद से कराओ तो अच्छा है..

इस दुनिया की भीड़ में चलने से तो बेहतर,
ख़ुद के साथ में घूमने जाओ तो अच्छा है..

अपने घर के रोशन दीपक देख लिए अब,
ख़ुद के अन्दर दीप जलाओ तो अच्छा है..

तेरी, मेरी इसकी उसकी छोडो भी अब,
ख़ुद से ख़ुद की शक्ल मिलाओ तो अच्छा है..

बदन को महकाने में सारी उम्र काट ली,
रूह को अब अपनी महकाओ तो अच्छा है..

दुनिया भर में घूम लिए हो जी भर के अब,
वापस ख़ुद में लौट के आओ तो अच्छा है..

तन्हाई में खामोशी के साथ बैठ कर,
ख़ुद को ख़ुद की ग़ज़ल सुनाओ तो अच्छा है..

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28 MAY 2019 AT 6:03

मैं तो इस वास्ते चुप हूँ कि तमाशा न बने
तू समझता है मुझे तुझसे गिला कुछ भी नहीं

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26 JAN 2019 AT 1:41

जय हिंद 🇮🇳

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21 JAN 2019 AT 21:27

हम उनको जलाने के लिए
खुश होने का दिखावा करते रहे
नई जगह घूमने लगे
महंगे रेस्टोरेंट में जाने लगे
दिखाते रहे कुछ बेहतर ही जी रहे हैं
तुम्हारे बेवजह छोड़ जाने के बाद
पर पता नहीं क्यू,
जब पता चला कि वो जल रही हैं
मैं उससे थोड़ा ज्यादा ही 'जल' रहा था।।

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22 DEC 2018 AT 19:41

No one is too Busy, it's only matter of priorities.

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