Ashok Jain   (अशोक कुमार जैन 'उदय')
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Joined 23 August 2017


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16 HOURS AGO

मैं चुप हूं तो मैं अच्छा हूं....

मैं चुप हूं तो मैं अच्छा हूं,
बोलूं तो अक्ल का कच्चा हूं,
पर ऐसा नहीं है आका मेरे,
मैं सत्य हूं और मैं ही सच्चा हूं।
ओछा घड़ा है तो छलकेगा ही,
असर है सत्ता में, बहकेगा ही,
अवधि तो अंधेरे की भी न होती ज्यादा,
सच के सूरज से 'उदय' जग चमकेगा ही,
दंभ-दंश-दर्प-दंड के चंगुल से बच रहूं जो,
देश प्रेम और स्वाभिमान का वो लच्छा हूं,
मैं सत्य हूं और सच्चा हूं,
मैं चुप हूं तो मैं अच्छा हूं,
बोलूं तो अक्ल का कच्चा हूं....

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1 MAY AT 11:04

आप सभी को प्रिंसीपल दिवस की ढेरों शुभकामनाएं:

गुरु की महिमा सबसे न्यारी, उससे न्यारा गुरु का दुलार,
सब टीचर्स में सबसे उत्कृष्ट, एक प्रिंसीपल का निष्पक्ष सा प्यार।
अनुशासन की दंड संहिता, चरित्रोत्थान के निष्कपट विचार,
प्रतिभूति संवेदना, सहानुभूति की, बहती सरिता प्रेम की अपरंपार,
हे भगवन, हे यीशु या अल्लाह, 'उदय' जब तुम बांटो सुख, धन, यश,
संपूर्ण प्रिंसीपल वृंद की झोली में भी बख़्श देना खुशियां दो-चार।

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16 APR AT 8:38

मुझे जितना भी उल्लू बनाइए, मुझे सदियों तक भी सताइए,
जहां चाहे अंगूठा लगवाइए, जहां चाहे जुलूस निकलवाइये,
मैं तो बस एक अंधभक्त हूं, मुझे और न कुछ भी चाहिए।

मेरी आंखों पे पट्टी बंधी, नज़रें भगवन तेरे चरणों पे सधी,
मेरे पास न और कोई काम है, मेरा कोई भविष्य ही नहींं,
जितना जी चाहे दुत्कारिए, मुझे और न कुछ भी चाहिए।

तेरी गालियां भी उपदेश हैं, लगे मिसरी सी बातें तेरी,
महंगाई से मुझे लेना भी क्या, इज़्ज़त मुझे भाती नहीं,
मेरा मत भी तेरा वोट है, मुझे और न कुछ भी चाहिए।

मेरे घर में मुफ़्ती का रहे राज, चीनी, चावल, मुफ़्त में अनाज,
मैं ८० करोड़ का हिस्सा हूं, मेरे सामने तेरी क्या बिसात,
बेरोज़गारी की पेंशन भी मिले अगर, मुझे और न कुछ भी चाहिए।

मेरी हड्डियां ३०७ हैं, एक रीढ़ ही कम है तो क्या बात है,
मेरा दिल भी धड़कता ही नहीं, क्योंकि अंधभक्ति मेरी ज़ात है,
मैं सिर उठाकर न कभी चल सकूं, मुझे और न कुछ भी चाहिए।

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14 APR AT 17:38

लज्ज़ते दर्द कभी बढ़ा न सका,
मेरे कहने पे भी मुस्कुरा न सका।

सिसकता रहा सर्द तन्हाइयों में,
लरज़ते लबों से बहका न सका।

तड़पती रुह की रुसवाइयों के दाग़,
बेहस बेदाग़ दामन से हटा न सका।

बेअसर हो गई सारी बद्दुआएं हुस्न की,
हाथ की लकीरों को जब्र मिटा न सका।

जमाने ने ऐलान कर दिया बेवफ़ा 'उदय',
वफ़ा के उसूल सभी निभा न सका।

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31 MAR AT 19:46

सिर झुका के तेरी ख़ैरो-ओ-अमान मांग लूं,
उम्र में उम्र जोड़ दूं, जान से जान मांग लूं।

बन जाए जो मिसाले-इश्क़ सबके लिए,
तेरे प्यार का वो अमिट निशान मांग लूं।

छोटा पड़ जाए दामन भी संभालने को जिसे,
वो सभी खुशियां, तेरे सारे अरमान मांग लूं।

तेरे सारे मर्ज़ मुझे हो जाएं, खुश रहे तू हमेशा,
दुआओं में खुदा से कुछ ऐसा दरमान मांग लूं।

तेरे कदमों के निशान बने हों दुनिया के रहनुमा,
ज़िन्दगी में तेरी मैं 'उदय' ऐसी पहचान मांग लूं।

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31 MAR AT 19:46

सिर झुका के तेरी ख़ैरो-ओ-अमान मांग लूं,
उम्र में उम्र जोड़ दूं, जान से जान मांग लूं।

बन जाए जो मिसाले-इश्क़ सबके लिए,
तेरे प्यार का वो अमिट निशान मांग लूं।

छोटा पड़ जाए दामन भी संभालने को जिसे,
वो सभी खुशियां, तेरे सारे अरमान मांग लूं।

तेरे सारे मर्ज़ मुझे हो जाएं, खुश रहे तू हमेशा,
दुआओं में खुदा से कुछ ऐसा दरमान मांग लूं।

तेरे कदमों के निशान बने हों दुनिया के रहनुमा,
ज़िन्दगी में तेरी मैं 'उदय' ऐसी पहचान मांग लूं।

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24 MAR AT 20:54

आप सभी को 'होली' की हार्दिक शुभकामनाएं:

रंग खिले हैं इन्द्रधनुष से, यहां हर चेहरा रंगोली है,
सबसे प्यारी, सबसे अच्छी, मेरे देश की होली है।

गुजिया-पारे-चाट-मिठाई, छलके बन होली की बधाई,
गालों पे रंगत गुलाल की, भीगा हर दामन हर चोली है,
सबसे प्यारी, सबसे अच्छी, मेरे देश की होली है।

पिचकारी में धार प्यार की, ठंडाई में दुलार की भंग
कांजी के पानी में छलके, गले मिलती हंसी ठिठोली है,
सबसे प्यारी, सबसे अच्छी, मेरे देश की होली है।

रंगों का त्योहार है होली, खुशियों का विश्वास है होली,
रंग, गुलाल, टीका, झप्पी, 'उदय' सबकी एक ही बोली है,
सबसे प्यारी, सबसे अच्छी, मेरे देश की होली है।

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22 MAR AT 20:50

कमज़ोर बनाके मुझे ज़िन्दगी के काबिल बना दिया,
ज़िन्दगी दी तो जिन्दगी को मेरा हासिल बना दिया।

मेरे कदमों को जो बख़्श दी चलने की ताकत ऐ ख़ुदा,
कामयाबी की राहों का मुख़्तसर मुसाफ़िर बना दिया।

नवाज़ा है उसने जबसे इल्म-ए-खिराद से मुझको,
दुनिया में दस्तूर-ए-वफ़ा का कातिब बना दिया।

जो निभाने में नाकामयाब रहे उसकी खुदाई-ओ-रहम,
एक क़तार में खड़ा कर उन्हें मज़ीद काफ़िर बना दिया।

मेरे गुनाहों की सज़ा 'उदय' बड़ी खूबसूरती से दी उसने,
अपने मुज़रिमों की अदालतों का हमें नाज़िर बना दिया।

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18 MAR AT 19:05

उसकी हर पनाह से बहुत दूर हैं हम,
कैसे बताएं कि कितने मजबूर हैं हम।

खुद तो सीधे मुंह बात नहीं करते कभी,
और कहते हैं वो कितने मग़रूर हैं हम।

कुछ भी कहने से सच बदल नहीं जाता,
वो पुर-लाजिम हैं और थोड़े जरूर हैं हम।

सुनकर कितना अच्छा लगा होगा हमें,
उनका कहना जैसे भी हैं उन्हें मंजूर हैं हम।

उनसे मिलके हमें अंदाज़ा हुआ कुछ-कुछ,
वो कितने 'उदय' और कितने मशहूर हैं हम।

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16 MAR AT 18:08

दुनिया की आब-ओ-हवा बदल गई है,
आंखों की शर्म-ओ-हया निकल गई है।

कैसी भी ख़ता करके बच जाता है इंसा,
गुनाह बदल गए हैं सज़ा बदल गई है।

दुनिया की आब-ओ-हवा बदल गई है,
आंखों की शर्म-ओ-हया निकल गई है।

आसमां मेरा नीला है आज भी उतना ही,
रुतें बदल गई हैं बाद-ए-सबा बदल गई है।

नज़रों से पुकारा करते थे हर बार वो,
कशिश बदल गई है अब सदा बदल गई है।

नम आंखों को नहीं हैं मुअस्सर दो अश्क़,
तन्हाई में हिज्र की 'उदय' अदा बदल गई है।

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