Ashkey   (✍🏼ashok_ghate©)
1.2k Followers · 38 Following

सिर्फ एक शायराना जरिया हूँ..
Joined 24 March 2018


सिर्फ एक शायराना जरिया हूँ..
Joined 24 March 2018
30 APR AT 9:54

जो कुछ मिला वो कम न था
दर्द हुआ मगर वो गम न था

कोशिश की जख़्म भरने की
मरहम सा था वो मरहम न था

भूल हूई उनको समझने में हमसे
कुछ तो था वो सिर्फ वहम न था

मसरूफ हुए बेपरवाह इस कदर
ख़ुद-दारी जो थी अहम न था

चट्टान है या फिर कोई पत्थर
क्या उसका दिल दहल न था

-


15 APR AT 19:29

पसीने की धार से जब तक जार जार ना हो जाए
चाय पीने का मजा तब तक दिल के पार ना हो पाए

-


27 MAR AT 22:51

ना गम है किसी बात का ना ख़ुशी हो रही है..
ना जाने यह कैसी अजीब ज़िंदगी हो रही है..

-


24 FEB AT 11:28

धुंआ-धुंआ सी क्यों हो रही है ज़िंदगी..
पल-पल यूँ करवट बदल रही है ज़िंदगी..

कल तक जो थी ख्वाहिशों में फँसी
अब तो हर साँस में बसी है ज़िंदगी..

कट रही थी तो काट रहें थे, जाने-अंजाने में
'खुली आँखों' से अनूठी दिखने लगी है जिंदगी..

कुछ गलतियों ने इस कदर झींझोड़ा हमें
दिन-ब-दिन तरमीम में जुट पड़ी है ज़िंदगी..

जमकर खातिरदारी होगी, आकर तो देख ऐ मौत
तुझे कस्स के गले लगा लेगी मेरी यह ज़िंदगी..

-


30 JAN AT 20:00

ज़िंदगी को कुछ इस तरह से जी रहा हूँ.. 🌱
मौत भी आई तो कस्स के गले लगा लूँगा.. ❤️🙌🏽

-


27 JAN AT 20:02

मुरझाए पौधों की सारी
तकलिफें 'जान' लेता है..
पतझड़ का मौसम है ज़नाब
सब्र का इम्तिहान लेता है..

-


12 JAN AT 2:32

भरी आँखों में ख़्वाब लेके बैठे है..
'रोटी' के साथ 'चाँद' लेके बैठे है..

हमने रास्तों को नही छोड़ा कभी
अपना 'मुकद्दर' हाथ लेके बैठे है..

-


1 JAN AT 23:32

ढलती हुई शामों को बहुत देख लिया अशोक..
सूरज उगने से पहले आँखों को चमकता देखना है अब!

-


31 DEC 2024 AT 23:15

तकलीफ़ देती है, वह आपकी राय है..
मुझे इश्क़ है उस्से, वोह मेरी 'चाय' है..

-


20 DEC 2024 AT 20:31

ठंडे-ठंडे मौसम में चुपचाप सी क्यों बैठी है..?
ओए मेरी गरम 'चाय', मुझ से क्यों रूठी है..?

-


Fetching Ashkey Quotes