Ashiwani Sharma   (Ashiwani sharma)
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Joined 13 November 2020


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29 JAN 2022 AT 23:57

गलतियों करो गलतियों से इंसान सिखता है लेकिन
जिंदगी में इतनी भी गलतिया मत करना की पेंसिल
से पहले रबर ही घिस जाए और रबर को भी इतना
मत घिसना की जिंदगी का पेज ही फट जाए 💯 ✌️
✍️✍️अश्विनी शर्मा

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4 NOV 2021 AT 11:23

💥💥Today's the🏮 'Festival of Lights' all over; 🤩A joyful day for minds and hearts and souls; Laughter 🥳and smiles for many days; Let there be triumph in every way. With gleam of Diya's 🪔🪔and the echo of the 🎉chants, may happiness and contentment fill your life.💐💐

Wishing You & Your Family very 🎊Happy and Prosperous Diwali!💥💥

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14 OCT 2021 AT 11:53

कुल की देवी से श्रेष्ठ ..
श्रेष्ठ कुल में जन्म देने वाली मां ❣️

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2 OCT 2021 AT 10:49

*कल खुशियों की दुकान बंद रहेगी** 🙏🙏....

समझदारो के लिए बस इतने ही शब्द काफी हैँ !
😐😐

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16 SEP 2021 AT 21:29

खामोश शहर की चीखती रातें,
सब चुप है पर, कहने को है हजार बातें
✍️✍️अश्विनी शर्मा

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31 AUG 2021 AT 17:16

लाख जतन किये फिर भी अरमान सा तू

जिंदगी बना लिया तुझे फिर भी मेहमान सा तू
✍️✍️अश्विनी शर्मा

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30 AUG 2021 AT 18:03

पहचान अपनी तुमसे छुपाएं क्यों
इन ज़ख्मों पे हम मरहम लगाएं क्यों

हैं तो हैं दाग़ दामन ओ ज़िस्म ओ रूह पे
ख़ुदको हम पाक साफ़ बताएं क्यों

नुमाइश के कोई कलंदर थोड़े ही हैं
तजुर्बो का पुलिंदा तुमको दिखाएं क्यों

जब तुम घर में आईना रखते ही नहीं
तुम्हारा ख़ुद से तारुफ़ हम कराएं क्यों

कतरा कतरा सुलगे और बुझा दे हमें
ऐसी कोई आग हम ख़ुद लगाएं क्यों

जो दिल मिले तो कुबूल कर लेना हमें
अभी गैर हो हम कोई हक़ जताएं क्यों

बेयक़ीनी में आंखों का धोखा कहोगे तुम
हम बेवजह बाज़ीगरी दिखाएं क्यों
✍️✍️अश्विनी शर्मा😊

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30 AUG 2021 AT 15:51

पर्दा ना कर पुजारी दिखने दे राधा प्यारी ,
मेरे पास वक्त कम हैं, और बाते हैं ढेर सारी।

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30 AUG 2021 AT 0:42

प्रेम का सागर लिखू ! या चेतना का चिंतन लिखू
प्रीति की गागर लिखू या आत्मा का मंथन लिखू
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू

ज्ञानियों का गुंथन लिखू या गाय का ग्वाला लिखू
कंस के लिए विष लिखू या भक्तों का अमृत प्याला लिखू रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू !
पृथ्वी का मानव लिखू या निर्लिप्त योगेश्वर लिखू
चेतना चिंतक लिखू या संतृप्त देवेश्शूर लिखू
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू

जेल में जन्मा लिखू या गोकुल का पलना लिखू .
देवकी की गोदी लिखू या यशोदा का ललना लिखू
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू
गोपियों का प्रिय लिखू या राधा का प्रियतम लिखू
रुक्मणि का श्री लिखू या सत्यभामा का श्रीतम लिखू
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू

देवकी का नंदन लिखू या यशोदा का लाल लिखू
वासुदेव का तनय लिखू या नंद का गोपाल लिखू
रहोगें तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू
नदियों - सा बहता लिखू या सागर - सा गहरा लिखू
झरनों - सा झरता लिखू या प्रकृति का चेहरा लिखू

रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू आत्मतत्व चिंतन लिखू या प्राणेश्वर परमात्मा लिखू
स्थिर चित्त योगी लिखू या यताति सर्वात्मा लिखू
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू
कृष्णू तुम पूर क्या लिखू !
कितना लिखू ,
रहोगे तुम फिर भी अपरिभाषित चाहे जितना लिखू

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29 AUG 2021 AT 13:46

किसी के अंदर प्रेम जगाकर उसे छोड़ देना
उसकी मृत्यु करने के समान होता है 👌
✍️✍️अश्विनी शर्मा😊

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