क़यदा ए ग़ुल
मुझे
सजदे सीखाता रह गया
उफ़्फ ये मेरा खुदसर
दिल, फ़िर
इंकलाब कह गया...!!!-
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MY LOVE FOR YOU IS
INEFFABLE
I MAY BE FORSAKEN
I WOULD STILL DELVE YOU
FROM THE ABYSS...-
दुनियां ये फिर, टोके कैसे,मुझ को तूफा,रोके कैसे
अपनी ज़िद पर ज़िंदा हु,मैं, ज़िद्दी कोई परिंदा हु, मैं
सेहरा मुझ को सोखे कैसे,दरिया दरिया प्यास मेरी हैं
कल की मुझ को आस बड़ी हैं,उम्मीदें, बदहवास पड़ी हैं
ज़िद फ़िर भी,बेबाक,खड़ी है
क़दम क़दम पर दुश्वारी हैं,सपनों सी वो फुलवारी हैं
सांस ज़िंदगी रोके कैसे,किसी और के भरोसे,कैसे
ऐसे वैसे,जैसे तैसे.....
ज़िद्दी मन, बेहाल सफ़र भी,नई कहानी गढ़ जाऊंगी
लाख लगाओ पहरे मुझ पे,झोंका हु मै,बढ़ जाऊंगी
रेत रेत फिर करके दुनियां,अपनी हद पर जीत पिरो के
नन्हीं आँखें देखेगी फ़िर मेरी कहानी बैठ, झरोखें
क्या कहते हो,रूल जाऊंगी..??
क्या कहते हो बिखरूंगी,मैं....???
रुको ज़रा, फ़िर निखरूंगी, मैं
नहीं कोई पत्ता,बोसा मैं,मुझे तबाह करने के सपने
पूरे होंगे.....???????
ऐसे कैसे.......!!!!!-
एक सा ज़ख्म दो दफा
दर्द नहीं दे सकता बेबाक
उस की मर्ज़ी है जो चाहें करे
वो नज़रे अब उठे जिन पर चाहे
दिल अब मग़र टीसता भी नहीं
मैं भी इंसान हु, फ़िर कोई
फरिश्ता तो नहीं
-
अब तो ये उम्मीद भी गई
के कभी मेरे हो सकोगे तुम
हर नया रुख हर नई बार
मुनासिब नहीं लगता और फ़िर
लफ़्ज़ तुम सुनना नहीं चाहते
खामोशी तुम समझोगे नहीं...!!
-
सफ़र कितने
मेरे इंतेज़ार में तो हैं
मग़र
तुम्हें छोड़ कर
रास्ता बदल लेने का हुनर
मुझे आज तक
नहीं आया...!!-
अब किसी शय,किसी शक़्स,किसी रिश्ते,
किसी एहसास के खो जाने का
खौफ़ बाक़ी नहीं,मुझ में
जो कुछ भी मुझे खो कर पुरसुकून हो
उस के खो जाने का खौफ़ पाल कर
अपनी तन्हाई तबाह करना
कतई गुनाह हैं,मेरी जान
और ख़ुद का गुनहगार बनना
सरासर ग़लत.....!!!-
तुम्हारा इश्क़ मेरे हिस्से आए ना आए
मेरी दोस्ती तुम्हारे हिस्से हमेशा रहेगी
ख़ामोश फ़िक़्र,तुम्हारे लिए दुआएं और तुम्हारे नाम पर लड़ जाना दूसरों से बेवजह हमेशा था,हमेशा रहेगा
मुझे बदले में कुछ नहीं चाहिए तुम से,तुम मुकम्मल दुनिया हो मेरी
और ख़ैर मुझे कुछ पसंद हो,वो मिल जाए
उफ़्फ तकदीर से इतनी दोस्ती नहीं मेरी
मैं मानती हु बाक़ी सब रंग फीके पड़ जाए
मोहब्बत रुसवा हो भी जाए तब भी
एक महज़ दोस्ती कभी नाउम्मीद नहीं करती
किसी सूरत में साथ ना छोड़ने का दीन हैं ये
तो मुझे तुम से नाराज़गी,दूरी,रुसवाई
इसके अलावा कुछ और कभी ना भी मिले तब भी
तुम्हारे पास मैं हु,यही,ख़ामोश,हमेशा याद रखना
ज़रूरत ना हो फ़िर भी,अकेले नहीं हो तुम
और मैं,मैने तो ख़ैर
मेरी छोड़ो,इतनी तवज्जों कि मुझे आदत ही नहीं,तुम कभी मुस्करा देना देख कर मुझे,मेरी दोस्ती
मेरा इश्क़ उस में भी जीत जाएगा
बेझिझक कभी हाल पूछ लेना मेरा,तुम कभी मुनासिब समझो तो,तुम पर कोई ज़ोर नहीं,
तुम से इश्क़ करना मेरा जज़्बा हैं
तुम आज़ाद हो,तुम कभी खुद मेरे न हो जाओ,
तो ज़ोर लगा कर अपने इश्क़ को कमतर करना कुफ्र हैं
चलो इतना पेचीदा करते ही नहीं जज्बे को किसी,
ख़ामोश और वाहिद दोस्ती भी
कम खूबसूरत शय नहीं....-
बस ज़रा छांव चाहता दिल
तुम को हो मुझ से कोई लगाव
चाहता था दिल
मैं मेरे हाल में पोशीदा हु अब
इक नया घाव चाहता था दिल
मुझको आदत है मैने सीखा है
ज़िंदगी का ये ही सलीका है
मेरे हिस्से रहा हैं केवल सफ़र
मंजिलों का मग़र चाव चाहता था दिल
तुम तक कोई ठाव चाहता था दिल
उफ्फ ये इक पड़ाव चाहता था दिल
मेरी ग़लती मुझे ख़्वाबों की चाहत क्यों रही
जाने कौन सा तुम से मक़ाम चाहता था दिल...!!!-
मुझे क्या फ़र्क मेरी शय को सहारा हो ना हो
मैं कोई तूफान हु अब मुझ को किनारा हो ना हो
मै खुद की हु वही बेहतर,ये अलग दौर है शायद
अब कोई हमारा हो ना हो
मुझे आता है अकेले चलना,अब सफ़र कोई
गवारा हो ना हो
तू चमक,चाह,रंग, ख़्वाब, सहर, ज़ौम खा गई
मेरी मासूमियत का कर के कतल
ज़िंदगी तू मेरे सारे ख़ौफ़,खा गई..-