तुम्हारी आंखों की बात क्या करूं जब जब उन्हें देखता हु एक सुकून सा मिलता है। तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट जैसे मुझे इस बात का एहसास दिलाती हे कि मैं कितना खुशनसीब हु की मेरे जीवन में तुम हो । मेरे काम पर से घर लौटने पर जब मैं तुम्हारी बातों को सुनता हु तो मेरे दिनभर की थकान मानो छू हो जाती हे । तुम्हारा साथ मुझे हर एक दिन चाहिए। मुझे तुम्हारा साथ हर जीवन में चाहिए
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पता है, मुझे हाल ही में एहसास हुआ!
की तुम्हे चाहना शायद इतना आसान नही है ।
ज़िद्दी हो!लड़ती भी हो!
बात तुम्हारे अपनो पर आ जाए, तो उनके लिए डरती भी हो।
जो तुम्हारा है उसको किसी के भी साथ बांट नही सकती ,
मोहब्बत दिल में बहुत है,मगर दिखाती नही हो ।
मेरी कोई बात बुरी लग भी जाए तो बताती नही दूर से जैसे भी लगो पास आकर समझ आ गया की तुम्हारा दिल बेईमान नही है मगर फिर भी लगता है
तुम्हे चाहना शायद इतना आसान नहीं है।-
रोक लो मुझको मैं शून्य पर सवार हु ,मैं भागवत का सार हु । मैं शिव के डमरू का ताल हु, मैं कर्ता कर्म का प्रमुख हु, मैं तुम्हारे सम्मुख हु ,मैं आदि में हु मैं अंत में निपुण हु, मैं हु कण-कण में , मैं हु कृष्ण के सुदर्शन में ,जो लड़ा था महाभारत के युद्ध के रण में ,मैं हु हर एक मनुष्य के प्रति क्षण क्षण में । मै हु सती महादेव की प्रतीक्षा के मध्य में। मै हु राधा कृष्ण के प्रेम में । मैं हु सीता राम के अटूट विश्वास में । मैं हु समुद्र मंथन के प्रति दैत्य-देव में ,मैं हु महादेव के विषपान में।
मैं हु तुम्हारे समर्पण में , मैं हु तुम्हारे अन्तर्मन में ।
मैं हु सम की परिभाषा में,मैं हु वीर की गौरव गाथा में।
मैं हु इन्द्र धनुष के रंग में , मैं हु काली के रौद्र रूप में ।
मैं शून्य पर सवार हु , मै ही भागवत का सार हु।-
मै हँस रहा हु आशीष,
कमाल की बात है वो मेरी हँसी को हँसी समझ रहा है।
मै अनजान हु ख़ुद से,
कमाल की बात है वो मुझे मुझे ख़ुदा से ज़्यादा समझने की बात कर रहा है।
यक़ीन है मुझे ख़ुद पर,
कमाल की बात है वो जो कर रहा है ग़लत कर रहा है।
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हर कोई रखता है रिश्ते सहूलियत के हिसाब से
वो मेरे अंदर ही कही समाई है ,
बस दुआ है रब से सलामत रहे वो आशीष
ये लिखा है मेरे तजुर्बे की किताब से।
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हर मुलाक़ात का हिसाब नही रखा,कुछ समय के लिए समय को पास नही रखा।
यू तो मिलते रहे हम रोज़ाना ही उससे आशीष,
बस मिलने के बाद दिल मे कोई जज़्बात नही रखा।
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चलते रहेंगे मेरे बगैर भी काफ़िले यहाँ,
मै कौन सा जिस्मो का सौदा करने आया हु।
तरसते रहेंगे मेरे बगैर भी वो वहाँ,
मै कौन सा ज़िन्दगी भर साथ निभाने आया हु।-
तुम अगर लाल साड़ी में सजने सवरने की ज़िम्मेदारी लेती हो,
तो तुम्हारी ख़बसूरती को शब्दों में पिरोने का ज़िम्मा मेरा है।
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कोई रूठ कर मनाने को कहे,
कोई जा कर बुलाने को कहे।
कोई दोस्ती निभाने को कहे,
कोई प्यार बताने को कहे।
ये रिश्ते है या समझौता कोई ,
कोई छत पर चढ़ कर कूद जाने को कहे।
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कुछ ख़्याल-ख़्याल ही रखे जाए तो अच्छा रहेगा,
मुझ से इश्क़ न किया जाए तो अच्छा रहेगा ।
ये तो एक ख़्याल है "आशीष" का
ख़याल को ख़्याल ही रहने दिया जाए तो अच्छा रहेगा।
यू तो बहुत सी चीज़ है, इश्क़ करने के लिए,
मुझ से कराया जाए तो अच्छा रहेगा।-