दुआ में था असर कुछ कम कुछ थीं अर्जियां ज़्यादा
सबब तन्हाई का हैं खुद मेरी खुदगर्जियाँ ज़ियादा ...
झांका किया छज्जे से फिर उतर आया दरीचे में
बढ़ी हैं न जाने क्यों चाँद की मनमर्ज़ियाँ ज़ियादा..
यूँ तो हर मौसम तुम्हीं से हो के गुज़रा है
लुभाती हैं न जाने क्यों मुझे ये सर्दियां ज़ियादा..!💕-
Ashish Singh
(अनाम)
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Joined 5 November 2017
4 JAN 2023 AT 22:24
24 JUN 2022 AT 23:11
मुख्तसर ही सही लेकिन मुलाक़ात ले आओ
मौसम ले कर मैं आ गया बरसात ले आओ ..-
21 NOV 2021 AT 14:17
हर शय को कह आता था मैं चुपके से शुक्रिया
डर के जिनसे वो मुझे बाहों में जकड़ लेती थी..!"💕-
20 NOV 2021 AT 12:16
दिल को लिखेंगे दिल से दिल की बात हम
ये फ़ैसला तो कर लिया पर हौसला न कर सके..!"-
18 NOV 2021 AT 13:14
"कश्मकश के दोराहे पे उलझी मिरी कहानी है
इंतज़ार है एक राह....दूजे पर उमर गंवानी है....!"-
17 NOV 2021 AT 16:53
छज्जे से झांकता रहा फिर दरीचे में उतर आया
बढ़ी हैं न जाने क्यों चाँद की मनमर्ज़ियाँ ज़ियादा..💕
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17 NOV 2021 AT 16:23
यूँ तो हर मौसम तुम्हीं से हो के गुज़रा है
लुभाती हैं न जाने क्यों मुझे ये सर्दियां ज़ियादा..!💕-
17 NOV 2021 AT 11:50
"तुम्हें सुनना तुम्हें गुनना तुम्हें लिखना तुम्हें पढ़ना
इन्हें तुम शौक़ मत समझो यही तार्रुफ़ हमारा है..!"💕-