Ashish singh   (Singh's Shayari...)
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ना रखते हैं मान की आशा , ना अपमान का ध्यान
मन में सदा कामना रखते , एक जगत कल्याण।।।।
Joined 6 August 2020


ना रखते हैं मान की आशा , ना अपमान का ध्यान
मन में सदा कामना रखते , एक जगत कल्याण।।।।
Joined 6 August 2020
16 FEB 2022 AT 8:36

ऐ कलम सजा दे इन पन्नों पे मेरे ऐतबार की निशानी,
केे वो चाहें भी तो भूला ना ‌सकें हमारे प्यार की कहानी...



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14 FEB 2022 AT 13:47

उस जुर्म की तलाश कर रहे हैं जिसकी ज़िन्दगी सजा दिए जा रही है,
ख़बर लगे याराें अगर तो कहना किस बात केे मज़े लिए जा रही है....— % &

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13 FEB 2022 AT 13:34

अधूरे जाम केे नशे में भी उस शाम का मैं साकी था,
तेरी ज़ीनत पे नज़रें गु़लाम हुई बस दिल देना बाकी था... — % &

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6 DEC 2021 AT 9:47

खु़दा ने पूछा क्या तूने देखा है कभी वो सितारा,
जिसके दीदार-एे-हुस्न को तरसता ये जग सारा,
जब देखा हमने महफ़िल से क़ायनात, तो
ज़मीं से फ़लक तक मशहूर हुआ इस चाँद का नज़ारा .....

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29 OCT 2021 AT 18:59

तेरी झलक पाने को हमने खु़दा से गुज़ारिश कर दी,
कमबख्त बादलाें ने उसी रोज़ तड़प केे बारिश कर दी,
किस-किस से सवाल करते हम,
जब पुरी क़ायनात ने तुमसे बिछड़ने की साज़िश कर दी ।।।

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25 OCT 2021 AT 8:51

शेर दिल हैं हम भूखा रहना मंज़ूर, मगर शिकार नहीं छोड़ेंगे
माना केे चूक हुई इस मर्तबा पर अगली बार तबियत से तोड़ेंगे....

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16 OCT 2021 AT 8:37

कांच और अहंकार में केवल एक ही अंतर है,
कांच टूटे तो दर्द ज़मीन को होता है, मगर
अहंकार टूटे तो दर्द ज़मीर को होता है.....

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14 OCT 2021 AT 22:44

वो दुश्मनी ही क्या जिसमें साज़िश शामिल न हो और वो मोहब्बत ही क्या जिसमें आशिक़ क़ातिल न हो....

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14 OCT 2021 AT 17:36

तेरी आँखों के काजल की गहराई तो महज़ एक इशारा है,
अब किसी केे डूबने की वज़ह तो किसी केे जीने का सहारा है...

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4 OCT 2021 AT 20:08

जितना शांत हूँ मैं उतना ही शोर है तुझमे,
उड़ते पतंग से ख्वाहिशों की डोर है तुझमे,
सफर आसान नहीं एे ज़िंदगी, केे
खड़ा हूँ तेरे सामने दिखा कितना जोर है तुझमे...

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