Ashish Singh   (आशीष सिंह)
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Joined 13 May 2020


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Joined 13 May 2020
30 MAY AT 22:03

हम भी तड़पे थे तुम भी तड़पोगे,
कर्म है माता-पिता थोड़ी जो हर गुनाह माफ़ करे।

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29 MAY AT 20:51

बस वफ़ा ही तो नहीं मिली इश्क़ में हमे वरना,
मोहब्बत तो तुझसे बेइंतेहा करी थी हमने।

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28 MAY AT 21:43

शिकवा तो तुझसे भी ताउम्र रहेगा ऐ ज़िंदगी..
कि जब सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी उसकी तब ही तूने उसे मुझसे छीना।

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21 MAY AT 23:47

जो मेरे साथ होकर भी मेरा ना था,
उसकी वफ़ादारी पर कैसा शक होता किसी और के लिए!

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15 MAY AT 20:10

बेशक नफ़रत का दरिया बनकर ही सही,
लेकिन आज भी तुम्हारे दिल में जिंदा तो हूँ।

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14 MAY AT 23:50

और अगर मिलों कभी अनजानी राह में कहीं किसी मोड़ पर तो,
इस क़दर तुमको बाहों में समेट लेंगे कि हर गलती और गुनाहों को भुला बैठोगे।

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13 MAY AT 22:50

और भूले भी क्यूँ हम तुझे और किस तरह से...!
सिर्फ़ मोहब्बत ही नहीं मेरी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा रहा है तू।

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13 MAY AT 15:30

यकीनन एक आख़िरी बार तो मिलेंगे तुमसे,
इस जहान,,,नहीं तो फिर उस जहान।

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12 MAY AT 10:57

इतना भी फिक्रमंद नहीं होना था उसके लिए जिसके लिए दुनिया से खुदगर्ज़ हो बैठे,
वो हमारी नफ़रत के भी क़ाबिल नहीं थी जिससे हम बेइंतेहा मोहब्बत कर बैठे।

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27 APR AT 20:06

कुछ इस क़दर पूरा उनका वो इश्क़ हुआ,
अधूरा हुआ हमसे और किसी और से अधूरा हुआ।

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