Ashish Singh   (आशीष सिंह)
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Joined 13 May 2020


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Joined 13 May 2020
27 APR AT 20:06

कुछ इस क़दर पूरा उनका वो इश्क़ हुआ,
अधूरा हुआ हमसे और किसी और से अधूरा हुआ।

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24 MAR AT 8:02

तुम्हारी यादे खुशी और तोहफ़ा आज भी सलामत है मेरे पास,
सिर्फ़ एक तुम ही हो जो अब मेरे पास नहीं हो।

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16 MAR AT 14:32

उसकी राह देख रहे थे हम और घड़ी ने भी अपना समय बदल लिया,
वो किसी और राह पर चल पड़ी और घड़ी की ओर देखने को कुछ ना रहा।

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12 MAR AT 8:36

जैसे इस साल एक साथ है होली और रमज़ान,
ठीक वैसे ही हुआ था तुम्हारा और मेरा मिलन।

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23 FEB AT 11:38

मैंने कहा था कि ऊपरवाले ने मुझे तुम्हारी ज़िंदगी में खुशियां लौटाने को भेजा है,
तुम तब तो नहीं मानी थी मग़र आज मेरी वो बात आज सही साबित हुई है।

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1 FEB AT 5:48

यकीनन मेरे बिना भी तेरा गुज़ारा रहा होगा ऐ दिलरुबा,
वरना किसी और के लिए कोई अपनी धड़कन को फ़ना नहीं करता।

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29 JAN AT 21:31

चाहा तो यही था कि ताउम्र अच्छाई का दामन थामे रखेंगे मगर,
कमबख्त ज़िंदगी ने बुराईयों के भी साथ रहना सिखा दिया हमे।

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20 JAN AT 12:13

मंज़िल को पाने के लिए कभी-कभी रास्ते भी बदलने पड़ते है,
क्यूँकि एक राह पर चलकर कभी-कभी मंज़िल हासिल नहीं होती।

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14 JAN AT 21:46

वो जान ही ना पाए औदा उस लड़की की चाहत का उसके अपने होकर भी,
और हमने उसके दिल में जगह बनाकर मोहब्बत की सभी हदो को हासिल कर लिया।

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7 JAN AT 23:29

और गिले शिकवे भी उन्हें हैं हमसे जो ईमानदारी से मोहब्बत निभा ना सके,
और हमने बेईमानी का दामन क्या थामा वो दग़ाबाज़ भी हमे आँख दिखाने लगे।

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