मेरी शख्सियत में ...
खामियां शायद हजार होंगी ,
मग़र याद रख ...
मेरा "रवैया" बे-मिशाल है ,,-
मैंने जो भी जिया है अच्छा - बुरा , सुखद या दुख से भरा , अपनी डायरी में उ... read more
ऐसे यार हुश्न का
फिर होश को दुहाई जाए ,
मय हो इश्क़ का और
जाम होंठों से पिलाई जाए ,,-
नाज़-ए-वतन के वास्ते निशार हो जाँ,
इक ऐसा मौका देना मुझे भारत माँ ,,-
एक समस्या मेरे जीवन की ,
जिसके पार मुझे जाना है ,,
एक लालसा मेरे मन की ,
जिसे वास्तविक कर दिखलाना है ,,
उत्कंठाओ के मेले में ,
समस्याओं के ठेले में ,
संकट में विश्वास लिए मैं ,
चलता रहा निश्चय किये मैं,,
इसके पार मुझे जाना है ,
अब कुछ करके दिखलाना है ,,
इतिहास के खाली पन्नो को ,
अपना परिचय कराना है ,,
एक लालसा मेरे मन की ,
जिसे वास्तविक कर दिखलाना है ,,
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#गर्मियां #मुरझा #रही #हैं......!
एक आस है बादल का ,
वो ज़मी से मिलना चाहता है ,
पर यह मुमकिन कैसे हो ?
उसकी तड़प उससे सहन नहीं होती ...
बादल टूटने लगता है ... बिखरने लगता है ,
एक दर्द छुपा है उसके अंदर ...
जो बूंद - बूंद बनकर रिसता है
और आसमान छोड़कर आ जाता है
अपने प्रेम को परिभाषित करने ....
बादल का हर एक कतरा
देता है सुक़ून ज़मी को ,
बूंद- बूंद की ठंडक से
मुरझाने लगती है गर्मी !
तोड़कर ख़ुद को समां जाता है ज़मीं में ,
खो देता है ख़ुद को ...
अपने अस्तित्व से अलग हो जाता है,
अंतर्ध्यान प्रेम के लिए प्रेम को पूर्ण करने ।
और हरा देता है विषमताओं को
बाधाओं को जो रोंकाती थी उसे...!!-
आई, ठहरी, चली, और रवाना हो गई ,
ज़िन्दगी क्या है , सफ़र की बात है,,
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न ज़ुबां काम आई न आंखें कह सकीं ,
कुछ इस तरह लबों में दबी रही मोहब्बत ,,
-
रात भी अंधेरों के बिना अधूरी है ,
मैं भला कैसे तुम बिन पूरा हो जाऊं ?-
अब इसे
किसी को नहीं
परोसा जा सकता है ,
मेरा ईश्क़
अब तुम्हारे होंठो से
जूठा हो चुका है...... ,,-
आती - जाती रहतीं हैं आवाज़े हर वक़्त ,
मेरा ये कैसा अकेलापन है कि दूर नहीं होता !!!-