साल बदला इंसान बदले, लोग वहीं थे पर ख्याल बदलेll
इस रंग बदलती दुनिया में,सुर भी बदले और ताल भी बदले ll
ये जो साथ निभाने के वादे थे, क्या हमें पता था आधे थे, जब मतलब था तो साथ रहें, फिर वो राजा हम प्यादे थे ll
इस चका चौध की दुनिया में सबको मोटर,कार प्यारी,, हम जाए किसके पास लेके अपनी छोटी सी सवारी ll
जस्बातो का अब मोल नही, रिश्ते पल पल बिकते हैं, अब भावना अनमोल नहीं, पैसों से सब रिश्ते हैं ll
बिता साल ये सीखा गया की विश्वास किसी पे ना करना है, जीना तो सर उठा के जीना, वरना पल पल मरना है ll-
ये भी साल गया, इसकी बात गई,
कुछ इसके दिन गए कुछ इसकी रात गई ll
कई खुशियाँ मिली,कुछ गम भी थे,
कुछ अपने चले गए, कुछ नये संग भी थेll
जीवन पल पल संघर्ष है, ये बिता साल बता गया,
लेकिन जीवन हर दिन बढ़ते जाने का नाम है ये भी सीखा गया ll
नये साल में नयी सुबह होने की आहट है, मेरे हर अपनों का खुशियों से भर जाए जीवन अब बस यही चाहत है ll
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ये इतवार भी हो गए है अब मिलावट वाले,
दूर से छुट्टी की बर्फी तो दिखती है लेकिन सुकून की मिठास गायब है ll-
फिर नया साल है, फिर नयी खोज है,
कुछ जिम्मेदारी की गठरी है, कुछ उम्मीदों का बोझ है ll
गया साल कुछ सीखा गया, कुछ जोड़ गया कुछ मिटा गया ll
कुछ जाने वाले ठहर गए कुछ रुकने वाले चले गए,
इस बारह मासी साल में मौसम कई कई बदल गए ll
ना हिम्मत कभी मै हारा हु ना हिम्मत कभी मै हारूंगा,
गिर गिर कर उठना सीखा है, ना हार कभी मै मानूंगा ll
है जीवन का लक्ष्य यही,की पल पल बढ़ते जाना है,
सीखना है हर इक राहों से, मंजिल पर ध्वज लहराना है ll
ये नया वर्ष का नया सवेरा मुझको हर बार सिखाता है,
हो गहरी कितनी रात घनी, सूरज कभी ना बुझ पाता है ll
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I want to thank myself for being me, for holding my hope alive, for not letting down my courage, for staying strong.
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नीरज इस भाले से तुमने ना केवल एक गोल्ड जीता हैं बल्कि तुमने भारत का 100 सालों का इतिहास की दिवार को भी तोड़ा हैं ll
बहोत बहोत बधाई ❤️-
आज के समय में लोग समाज की सेवा तो करने को तत्पर है, किन्तु घर परिवार में किसी को जरुरत है, तो उसकी सहायता नही करते, क्योंकि घर में की गई सहायता की ना फोटो खींची जाती है, और ना ही अख़बार में छपति है ll
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बड़े ही विचित्र दौर से गुजर रही है आज लोगो की सोच जब हम परीक्षा कैंसिल होने पर खुशी मना रहे है, और फेसबुक, इंस्टाग्राम के बैन होने की खबर में दुख ll
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एक संकुचित सोच का,
एक वृहद से रोष का,,
एक अनकहे भय का,
एक बड़े किसी छय का,,
एक मानसिक द्वन्द का,
एक विष है ये मंद सा ll
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