Ashish Shahare   (Ashu)
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Shiny and simple
Joined 23 April 2019


Shiny and simple
Joined 23 April 2019
2 MAY AT 22:02

खंड खंड हिंदू
बटवारे में चाहे पीटते, धर्म के नाम पर जातियों में बटते,
सृजन कर्ता रचयिता ब्रम्हा के मुख से निकले ब्राहमण, भुजाओं से निकले क्षत्रिय, जांघों से निकले वैश्य और पैरों से निकले शूद्र|कहो तो हो सनातनी जातियों की शाखा, उपशाखा से अलग - अलग निकले ये हिंदू, रग रग हिंदू तन मन हिंदू, हार नहीं मानूँगा राह नयी ठानूगा, नीति की विधान पर कहते कृपाल पर, द्वेष, राग, भयमुक्त मन की शक्ति का प्रहार अभी बाकी है भाषा, धर्म, जाति पर उबले ये लोग अपने को कहें हिंदू, राष्ट्र की परिभाषा है नियति का विधान किसने देखा ब्रह्मा, विष्णु और महेश को सिर्फ कल्पना के आधार पर अडिग है हम विश्वास है हाँ यही तो पत्थर का भगवान है|

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2 MAY AT 0:25

बेरोजगारी और भुखमरी
दुई वक़्त की रोटी खातिर जद्दोजहद करे आदमजात चाहे हो अनपढ़ या हों पढ़ा लिखा कलेक्टर, सबकी सोच की कमाऊ चार पैसे और निकले समय जैसे तैसे, बच्चू, बुढऊ सभी का इ हॉल है सारी दुनियाँ बेरोजगारी से परेशान हैं और नेता लोगों की जमात है जो घर भर सके उसमें करना भ्रष्टाचार है ई दुनियाँ में सबका अपना रुबाब है कोई तमीज दार है तो लफडेबाज है सबकी अपनी-अपनी बिसात है ना मंत्री ने दीं हों संत्री वहाँ चले भ्रष्ट समाज की मंदी फिर माँगे भीख उसी चंदे से और जनता नरारद विकास की गति में मिली सबको मंदी माना अभी अधूरी रह गई सारी नेतानगरी|

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2 MAY AT 0:03

दो दिहाड़ी आदमी की यही तो गाथा है, मेहनत कर आदमी तो मिले दो वक़्त का खाना है मजदूर की मजबूरी यही है दो वक़्त की रोटी सही है भूखे पेट सोकर भी दिहाड़ी मजदूर चाहे वो बच्चा हो या बुढ़ा हो कुछ दर्द भी सह पाता है जिम्मेदारी के बोझ तले अपनों को सुख पहुँचाता है|

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1 MAY AT 23:53

यू ही पल गुजार दू रात के अंधकार को अपने में संभाल लू, कहीं ज्यादा तो कम कुछ राहत के है पल अकेले इस रात को क्या यू ही गुजार दू समेटे ना सिमटे ये सिसकियाँ मध्यरात्रि का प्रहर चल रहा|क्यू मन में है भवंडर है तूफ़ानों की आहट है बिन बारिश का पानी है अश्रुओ की धारा है क्या यहीं पुरानी गाथा है|

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1 MAY AT 22:37

Some space between people who are don't worry about it. So enjoy your self to some time spend with your empty mind. Your brain like a spicy food don't it forget remind me later.

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1 MAY AT 22:33

One world better than one home
Blue sky in the eye look so beautiful,
Goodluck or bad things about that so beauty is your guilty nothing my mistake so sorry.

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1 MAY AT 22:27

अधूरा क्या रखा है दुनियाँ में बिन बात का बतगड और बेहाल जिंदगी है अपनी तो आधी अधूरी जिंदगी में ना किसी का साथ और ना किसी पर विश्वास, जिस पथ का राही हू|मंजिल और मुकाम और एक मुस्कान काफी है|नाम से शुरू तो मंजिलों का ना पता ना ठिकाना है बदस्तूर ये बदला हुआ ज़माना है|

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1 MAY AT 22:21

उसके चाहने या ना चाहने से क्या होगा, तपती धरती पर पड़ती धूप में पसीना बहाने से क्या होगा|शिकवा गिला क्या खूब कहा है आपस में उलझकर क्या होगा|मुरझाए फूल पर भी कोई हसीन मुस्कुराहट मिले सोचो उस फूल का आलम क्या होगा|हम तो दूर से ही दस्तक दे आए इतना करीब आने से भी क्या होगा ¿ दिलों का दूर रहना ही सही लेकिन अपने सपनों का संसार क्या होगा|दिललगी भी किसी से क्या और खता को माफ़ करना भी क्या, हो सके तो दिल का दर्द बोझ लगे वर्ना इस जिंदगी का क्या महज बाते हैं बातों का क्या?

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1 MAY AT 21:54

रामयुग
हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ
कलयुग में भी मैं मानस बनकर तुम्हें जगाने आया हूँ |
रोज़गार क्या देगी सरकार यही बात बताने आया हूँ |
या हों स्वयं आत्मनिर्भर यही जताने आया हूँ|
हे भारत का संविधान दुनियाँ में है जिसकी अनूठी शान वही बतलाने आया हूँ हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ, क्या मंदिर मस्जिद बाट सके वो कलम लगाने आया हूँ या जलवायु परिवर्तन में ईंधन, कोयला कहाँ से आए ये बतलाने आया हूँ हाँ मैं जगाने आया हूँ |हे भारत के राम जगो क्या मुफ्त में शिक्षा मिल सके मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ, हे भारत के राम जगो मैं ये बतलाने आया हूँ |पूजा और प्राण प्रतिष्ठा से ना समृद्ध हो ये दुनियाँ क्या भूजल का स्तर गिरता है या भूजाल उठें इस दुनियाँ में मैं तुम्हें बतलाने आया हूँ |हे भारत के राम जगो मैं तुम्हें जगाने आया हूँ|

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1 MAY AT 14:14

भागमभाग एक दौड है जो भागा मन के भाग से दिन दुखियों की प्यास से फिर रहा मारा मारा मन का हारा जग से न्यारा एक बेचारा बहुत नाकारा फिरता रहा मारा मारा|मन का हारे हार है मन के जीते जीत फिर भी पानी में डूबे है दीन दुखियों के गीत|

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