वो अकेला तन्हा सफर रहा है बेकार लड़का
देखो अब नदी सा गुजर रहा है बेकार लड़का
हमारी आँखें, था भीगा तकिया और इक कमरा
तो क्यों अंधेरों से डर रहा है बेकार लड़का!!
ये जवाँ हवाएँ अभी रूकेंगी कहेंगी आकर
ख़ामोशियाँ संग क्यों मर रहा है बेकार लड़का!!
तुम्हारी यादों के साथ रिश्ता निभा ना पाया
सो खुद कि नजरों से गिर रहा है बेकार लड़का!!
वो संगेमरमर हैं उनको जाकर जरा बता दो
के बनके शीशा बिखर रहा है बेकार लड़का!!
तुम्हें ही होती है रोज सबसे नई मोहब्बत
वो अबभी तुमसे ही कर रहा है बेकार लड़का!!
ज़हीन लड़की किया है कैसे ये तुमने जादू
जो तेरी खातिर सँवर रहा है बेकार लड़का!!
नहीं करुँगा तुम्हारे होते किसी से बातें
लो वादों से फिर मुकर रहा है बेकार लड़का!!!
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