फर्क सिर्फ इतना है मर्द और औरत के प्यार में
मर्द प्यार के लिए रानी को भी ठुकरा देता है और
औरत सरकारी नौकरी के लिए प्यार को-
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इंसान बदलेगा वक्त भी बदलेगा
बस ये बात याद रखना फितरत नहीं बदलनी
तो जहरीले सांप भी वही है-
छोड़ दिया मांगना मैंने पहले वक्त
फिर जरूरत और फिर धीरे धीरे
पैसा और फिर अचानक से
रिश्ते
आखिर ऐसा था तो नहीं था मैंने
जैसा हो गया हूं-
सरहद पर जंग है और मां
का दिल घर में तंग है
सिसकियां लिए अपने आंसू
आसमां से छुपाती है
खुद को मजबूत दिखाती है
दर्द बहुत हैं दिल में बस
इस दुनिया से छुपाती है
इस जंग के मैदान में तो
मां तो हर दफा हारी है
जीत चाहे जिसकी भी
हुई हो मां तों बस हारी है
पूछा है कहीं बार मां ने आसमां
से क्या मिला तुझे मां की
गोद उजाड़ के वो पहले ही
लोगों के रिश्ते को निभाने के लिए
हर बार हारी है
मुस्कुराते हुए आसमां ने जबाव दिया
तेरे लाल तो बड़े प्यारे हैं इसलिए
तो इन्हें जंग में मैदान में उतारें है
मां सिसकियां लेती बोली कर लिया
तुने ये दुस्साहस तो मेरे लाल भी
बड़े सयाने है मिटा देंगे नामों निशान
तेरा चाहे हो जाये कुर्बान जंगो मैदान में
मां बोली हिमालय जैसे दिवार बन
कर अपना सिना सरहद पर ताने है और
मिटा देंगे हर एक दाग़ को गंगा यमुना की
तरह जो तुने उनकी मां लगायें है
अज्ञात
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अपनी कहानी के हीरों खुद बनो
वरना पूरी दुनिया तुम्हें उनके हिसाब
से चलने को कहेंगी
-
कि जब हर हाल में जीना है तो फिर
दुःख इस पल हों या फिर
ज़िन्दगी भर हर लम्हा बस मुस्कुराना है-