फिर भी कुछ नहीं था
शारीर और आत्मा के बीच
बस जुगलबंदी नहीं था-
3 JUL AT 10:58
दुविधाएं गले लगा लेते हैं
जब खुद से ही विश्वाश उठ जाए
तब अपनापन भी साथ नहीं देता है-
1 JUL AT 10:04
लाखों सुविधाएं भी आती हैं
सुख और दुख के मेलजोल के बिना
जीवन कहाँ हमें संतुष्ट कर पाती है-