ASHISH RANJAN   (आशीष)
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Joined 14 June 2019


Joined 14 June 2019
19 SEP 2023 AT 23:38

नज़्मों की एकतरफा नुमाइश है निगाहों में ,
किसी ग़ज़ल से लबरेज़ वो अल्हड़ आँखें ,

थिरकते होंठ जैसे कोई निखरती हुई शायरी ,
उलझन में आशीष ताके तो किसको ताके !

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12 SEP 2023 AT 1:21

इस्तेमाल कर के तुम्हारा , ज़ब्त
आज़माया जा रहा है हमारा ,

हाय ! कितने हसीन पैमाने पर
हमारी आजमाइश हो रही है !

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2 SEP 2023 AT 12:52

कुछ इसलिए भी राबता नहीं
रखा हमनें कभी शराब से ,

कि कहीं लबों से ये सारेआम
न कर दे भीतर के ज़ख्म !

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28 JUL 2023 AT 20:41

क्रोध
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एक प्रक्रिया है अपने अंतर्मन को स्वच्छ रखने का ,
एक अस्त्र है अपने सम्मान को सुरक्षित रखने का ,
एक साधना है द्वेष-घृणा को हृदय से दूर रखने का ,
एक प्रमाण है स्वयं के संवेदनशील होने का ,
एक मानक है धैर्य की पराकाष्ठा चिन्हित करने का ,
और
एक शैली है अपने अगाध प्रेम को प्रदर्शित करने का !

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23 JUL 2023 AT 10:42

क्या इत्तेफ़ाक है, उनसे ताल्लुक़ नहीं है कुछ
फ़िर भी हमारा सब्र ऐंठा जा रहा था ,

वो खड़े हो रहे थे जब रुख़सती के लिए
बेतहाशा हमारा दिल बैठा जा रहा था !

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19 JUL 2023 AT 10:25

सबके प्रिय बने रहने का प्रयास,
उत्कृष्ट को औसत बना कर छोड़ता है!

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11 JUL 2023 AT 22:00

कुछ ऐसा इस कदर हमसे संगीन गुनाह हो जाये ,
गुलाबी होंठ भी आपके जिसके गवाह हो जायें ,

मुकदमा-ए-इश्क़ चले दिल की अदालत में और
आपके आखों में क़ैद होकर हम तबाह हो जायें !

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9 JUL 2023 AT 20:22

रहा जो अक्सर दुआओं में काश
मुकम्मल वो ख्वाब हो जाये ,

हाथों में चाय , हरे लिबास में आप
और मौसम खराब हो जाये !

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8 JUL 2023 AT 20:07

आपकी आखों की मुस्कुराहट कुछ यूँ इशारा कर गए ,
बड़े घराने के एक शरीफ लड़के को आवारा कर गए ,

बारिश की बूँदों में अब वो ढूंढता है आपके अक्स को ,
निगाहों से बचा तो गुलाबी होंठ घायल दोबारा कर गए !

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6 JUN 2023 AT 10:55

If a joke is not moderated,
it becomes mockery and when
tempered with intent, it can
turn into an insult.

And again if it is not controlled
then that is an offence in itself.

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