आज पूरा गांव का दलान खाली सा दिख रहा है
शायद अच्छी जिंदगी की तलाश में
सामने शहर के नाले पर बस्तियां बस गई है
रोजगार रोटी के तलाश में
कोई मांपे विकास को...
गांव और शहर के बीच इस सदी में
अमीर , अमीर होये जा रहा है
गरीब, गरीब होये जा रहा है
समाजवाद की संकल्पना क्यों छुटे सा जा रहा है
बराबरी के शिक्षा, बराबरी की अस्पताल
कब नसीब होगी बबुआ को..
कोई बताओ मुझे आखिर क्यों गांव वाली
दलान खाली सा दिख रहा है...
दलान खाली सा दिख रहा है...
जय हिन्द
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मौसम बादशाह सा है
दिल में कुछ ख्वाब सा है
नजरें इधर मिलाईयें मौहतरमा
हमारी धरकण अभी फाग-फाग सा है।
रंग भी लै आईये, संग में गुलाल भी
भड़ियै ना पिचकारी प्रेम की
संग में फाग-फाग सी...
#फाग_बसंती-
पलायन
पलायन एक सच्चाई...
निश्चित रूप से मां व्यथित हो उठती हैं अपने बच्चों की पलायन देखकर
बाबूजी दहल उठते हैं अपने बच्चों की पलायन देखकर
आंगन सूनी हो जाती है अपने बच्चों की पलायन देखकर
घर से दी गई पराठे भुजिया कचरी चावल चूड़ा भुंजा ठेकुआ नीमकी आदि में ही अपनों की यादें बसती हैं
सबके अपने-अपने दर्द हैं पलायन के वास्ते
किसी के रोजी रोटी के वास्ते तो
किसी के उच्च शिक्षा पढ़ाई के वास्ते।
किसी के रस्मों-रिवाज यानी बेटी ब्याह के वास्ते-
उनके इश्क में मेरा रुसवा हो जाना भली लगती है
शहनाई पर बैठकर उनको गुन गुनाना भली लगती है
चांदनी की दोपहरी, ढलती शाम पर भली लगती है
मेरी नजर में भी वह है मेरी शहर में भी वह है
पर ना उसे मेरी खबर है पर ना उसे मेरी खबर है
चोट से लग गई है साले दिल को
चोट से लग गई है साले दिल को
फिर भी धड़क रहा है
यह समय ही तो उनका है साहब इसीलिए तो चल रहा है
बेजुबानी में भी यारी होती है
बेजुबानी में भी यारी होती है
कसम से बहुत प्यारी होती है
बहुत प्यारी होती है
प्यार – मोहब्बत – सलाम
आशीष रंजन
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इस सुबह के शागिर्द को मैं क्या नाम दूं
ठंडी ठंडी हवा जो हमारी प्यास मिटा बत है
उसे क्या नाम दूं
ऊपर खुला आसमान पपीहे की आवाज
कोयल की कूक को
मैं क्या नाम दूं
इस मिट्टी में जहां मेरी बचपन बीती इसे क्या नाम दूं।
मैं बहुत मिस करता था इसे जब दूर शहर को प्रवास पर था।
मैं फिर वापस आया अपनी मिट्टी में मैं इसे क्या नाम दूं
बहुत कम में भी संपन्नता की एहसास दिलाती है मुझे...
धान की पगडंडियों, गोधन की घंटियां,ओशों के मोती, मेंढक की आवाज यह सब मिस करता था जब दूर शहर प्रवास को था।
नारियल के फल बरगद की छांव नदी के घाट सब में अपनेपन का एहसास
मेरा गांव
प्यार प्यार प्यार!!!
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मोहब्बत भी जिंदा है
महफिल भी जिंदा है
मैं भी जिंदा हूं तु भी जिंदा है
दरिया भी जिंदा है समंदर भी जिंदा है
लगा जोर मेरी बाहों में आने को
मत देख दुनियां को ,जब जी करे मुझ में समाने को।।
फिक्र करो उस लब की
जो तुम्हारी दुआ देख रहा है
उमरते हुए सावन भादो में भी
तुम्हारी पतवार थामें खड़ा है।।
अंतिम सांस में भी तुम्हारी
नाम लिख रहा है
नाम लिख रहा है।।
काठ की कश्ती बना कर
दरिया के उस छोड़ तुम ओर भेज रहा है
लगे हाथ बैठा के तुम्हें अपनी ओर खींच रहा है
इबादत की चाह और मिलन की राह में
वह यूं ही बेकरार है।।
वह यूं ही बेकरार है।।
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सारी दुनिया में भुलाया था आपकी यादों में
लव पर आशिक मेरे समाया था
आपकी बातों में!
मत कर पर्दा मेरी रूह से
मेरे साये दम
यह कतरा की साज भी तो
आपही से आवाद है
वो
मेरी प्यारी सी वतन
न्नहें से परींदे सी अरमान मेरे
मैं भी छु लूं दुर आसमान को
इस वैश्वीकरण की मंजरी शाम में
बस दो गज महफूज रहे
इबादत को
मेरे वतन-मुल्क की नाम में...
प्यार - मोह्ब्बत - सलाम
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योग
विद्यार्थी जीवन के चरित्र में योग बसै छै ..
रोटी बनवे में योग रचै छै
लगल आटा हाथ में
बेचलर भाई के ऋंगार
मेहनत करत चकला पर भाई हो संसार...
आवै वाला भौजी उन्ने मुंह फुलैलक
फोनवां काहै नैखे तू उठैलक!!
ऐन्नै भाई इहो टावर उहो टावर के चक्कर में
रोटी के बदला में लिट्टी ये बनै्अलक!!
फैर हम्अर बेचलर भाई
हुए वाला भौजी से बतिईयेलक
रूक नै गे मंचलिया
काहे तू हमरा से दूर रैह्अ के योग करवै लै!!!
आव जो ना तुं
इहो चकला पर हाथ कै टैरि्यहै
योग में भोग करि्यहै!!
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To whom I try
To whom I cry
For a simple sence
For a simple love...
Talking in the middle
I passes my soul
To laugh in the Iife
I learnt at all !!-
मैं तो वहीं खड़ा हूं खुली किताब की तरह
मैं भी तो तुम्हारी याद में हूं
ओशों की बूंद की तरह...
इस बूंद पर तुम मेरे रोशनी बन जाओ ना
पास आ जाओ ना
तुम मेरे धड़कन में धीमी आवाज की तरह...
इस धरकन में कौन दो धड़कता है
यह ना महसूस करो
कौन दो तड़पता है यह महसूस करो...
पंख लगा दो ना आसमान में हम दोनों के साथ उड़ान भरने को ...
लगे हाथ इस दो जिंदगी की जान बनने को...
इस पल की याद को तू समेट ले
लगे हाथ तू मुझे अपनी भेंट दे
इस दर्द को मैं जुदाई कैसे नाम दूं
जब इस तन्हाई में भी
मैं अपनी
तुझे सलाम दूं
तुझे सलाम दूं!!
प्यार - मोहब्बत - सलाम
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