Ashish Pitro  
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Joined 30 May 2018


Joined 30 May 2018
24 APR AT 22:17

रिश्ते की कदर थी..
और रिश्ते में तुम थी.. 
तुम किसी और रिश्ते में खुश थी..
मैं तुम्हारी खुशी में  खुश था..

अरे ! नहीं आता मुझे प्यार जताना..
मैं बहुत बुरा हूं ना , अब सच बताना..

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23 APR AT 19:03

आज की तारीख मैंने कुबूल कर ली,
कल से कोई पेशी नहीं होगी...

जमानत के कुछ लम्हे मैंने खरीद लिए है,
गुनाह पहले जैसी अब नहीं होगी...

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22 APR AT 23:31

झूठों की बस्ती में सच्चे रिश्ते ढूंढ रहा था,
जिद थी कि कोई मेरा अपना मिल ही जाएगा ..

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16 APR AT 8:53

मेरी नाकामी का आइना दिखा रहा आज जवाना,
और मैंने जवाने से वही आइना खरीद लिया..

अब मुक्कादर की बात होगी अगर फतह हुए मेरी ,
शिकस्त की जिद पर मैंने जंग-ए-मैदान खरीद लिया..

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16 APR AT 8:39

कभी सलीका से महसूस किया नहीं उसने ,
जो मुझे हर दफा सुधरने की नसीहत देते रहे..

शर्त थी चोरी भी होगी तो ईमानदारी से,
वो खुदा की कसम खा खा कर ईमानदारी की नसीहत देते रहे..

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10 OCT 2024 AT 22:15

शहर के बाजार की कीमतों में कुछ ऐसे उलझ गए..
हम गांव के अनपढ़ लोग खुद को बेचते बेचते मर गए..

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24 SEP 2024 AT 21:36

वो किस्तों में मुहब्बत का कत्ल कर रहे थे..
मैने खुद दूर होकर उनकी साजिश नाकाम कर दी..

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10 SEP 2024 AT 0:19

गर बात एक रात की होती तो नकाब में आता..
बात ताउम्र की थी , बेनकाब आया..

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29 AUG 2024 AT 3:34

वो खत,वो फूल,वो किताब, वो घडी, सब महफूज है
बगैर तुम्हारे..

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28 AUG 2024 AT 23:50

तुम्हारा बोला गया सबसे खूबसूरत झूठ मेरे लिए..

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