रिश्ते की कदर थी..
और रिश्ते में तुम थी..
तुम किसी और रिश्ते में खुश थी..
मैं तुम्हारी खुशी में खुश था..
अरे ! नहीं आता मुझे प्यार जताना..
मैं बहुत बुरा हूं ना , अब सच बताना..
-
आज की तारीख मैंने कुबूल कर ली,
कल से कोई पेशी नहीं होगी...
जमानत के कुछ लम्हे मैंने खरीद लिए है,
गुनाह पहले जैसी अब नहीं होगी...
-
झूठों की बस्ती में सच्चे रिश्ते ढूंढ रहा था,
जिद थी कि कोई मेरा अपना मिल ही जाएगा ..-
मेरी नाकामी का आइना दिखा रहा आज जवाना,
और मैंने जवाने से वही आइना खरीद लिया..
अब मुक्कादर की बात होगी अगर फतह हुए मेरी ,
शिकस्त की जिद पर मैंने जंग-ए-मैदान खरीद लिया..
-
कभी सलीका से महसूस किया नहीं उसने ,
जो मुझे हर दफा सुधरने की नसीहत देते रहे..
शर्त थी चोरी भी होगी तो ईमानदारी से,
वो खुदा की कसम खा खा कर ईमानदारी की नसीहत देते रहे..-
शहर के बाजार की कीमतों में कुछ ऐसे उलझ गए..
हम गांव के अनपढ़ लोग खुद को बेचते बेचते मर गए..-
वो किस्तों में मुहब्बत का कत्ल कर रहे थे..
मैने खुद दूर होकर उनकी साजिश नाकाम कर दी..-
गर बात एक रात की होती तो नकाब में आता..
बात ताउम्र की थी , बेनकाब आया..-