तूफ़ानो का दौर फिर दस्तक दी है
पर अब ये बाती जलते रहेगी-
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💪braमण(पंDत)
🐄radhe ... read more
स्त्री मात्र कोई देह नहीं
उनसे भरा को स्नेह नहीं
मुस्कुरा के सह लेती विपदा
उनसे बड़ा दिल ए शेर नही
बहला फुसला खेलते है उनके बचपन से
होगा उन्हें भी सामना किसी दिन दर्पण से
कभी आज़मा कर देख उनसे दोस्ती
उनसे बढ़ कर सच कोई दोस्त नहीं
स्त्री मात्र कोई देह नहीं..
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
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सुकूनियत हमे मालूम हुई जब गलती न पहचान आयीं
थे सहमे से हम और चौड़े हो गये जब खुशी हमारी सरेआम हो गई..
#आशीgolu24-
ख़ामिया ऐब है मुझमें हम जानते हैं
दोस्ती यारियाँ तनहाइयाँ उसे भी खूब पहचानते हैं…-
कोई जीते जी पाताल में जा रहा …
कोई पा के भी सब खो रहा…
हो गई गलती सुकूनियत मत छीन दोस्त
जैसे थे बस और इम्तिहान में फेल होते जा रहा …-
सुने थे तारीखे बहुत आती जाती है
अदालत की ये आम सी बाते होते जाते …
क्यों अपनी ही दोहज़र्र में हमे अब भी खड़े कर जा रहे है
वकालत आपने तो पढ़ा था तारीखे कुछ अलग कर जाते…
ख़ुद को तारीख़े से नफ़रत सी हो गई
सुकून से थे अब तो दुआ है आप तो आसमां छू
हम तो पैदा होना का जश्न भी छोड़ गये…
#आशी२४-
फिर से शुरुआत की है
अपनी बाँतों की आगाज़ की है
फिर आएँगे सैकड़ो मुखबिर बन कर मेरे
अब सब छोड़ फिर नई गुनाह की है..-
क़ोई जन्नत सी थी बिछर क्यू रही
हमने कुछ भी न किया भी तो बता क्यू नही रही
हुआ मेरे साथ इस कदर की उसको कुछ न किया
अपनी ज़िम्मेदारी में खोए रहे हम मिला रत्ती भर नही…
उस सुनहरे ख़्वाब को भी ख़त्म कर दिया …
मिन्नतें कर दिया मज़ार पे पर एक दफ़ा वो देखी नही
सुकून मिला जब की हम उसके क़ोई नही …
#पाठक Ashi2418-
होंठों पर शिकायत का क़ाफ़िला है
और आँखो में गले लगाने की तलब…
बातें करु या सच छोड़ दु मन था ना समझ
हज़ारों बात सुन लू पर कैसे,ताह उम्र की दोस्ती कर लू बे-अदब-
चंद लम्हों को सदियों में जीना है,मुझे तुम्हारी होठो से लगी चायें पीना हैं
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