Ashish pathak   (#आshi24)
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Joined 4 October 2018


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22 FEB AT 17:07

तूफ़ानो का दौर फिर दस्तक दी है
पर अब ये बाती जलते रहेगी

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8 MAR 2023 AT 14:02

स्त्री मात्र कोई देह नहीं
उनसे भरा को स्नेह नहीं

मुस्कुरा के सह लेती विपदा
उनसे बड़ा दिल ए शेर नही

बहला फुसला खेलते है उनके बचपन से
होगा उन्हें भी सामना किसी दिन दर्पण से

कभी आज़मा कर देख उनसे दोस्ती
उनसे बढ़ कर सच कोई दोस्त नहीं

स्त्री मात्र कोई देह नहीं..

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस


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24 FEB 2023 AT 23:26

सुकूनियत हमे मालूम हुई जब गलती न पहचान आयीं
थे सहमे से हम और चौड़े हो गये जब खुशी हमारी सरेआम हो गई..


#आशीgolu24

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11 DEC 2022 AT 23:16

ख़ामिया ऐब है मुझमें हम जानते हैं

दोस्ती यारियाँ तनहाइयाँ उसे भी खूब पहचानते हैं…

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28 NOV 2022 AT 0:20

कोई जीते जी पाताल में जा रहा …
कोई पा के भी सब खो रहा…

हो गई गलती सुकूनियत मत छीन दोस्त
जैसे थे बस और इम्तिहान में फेल होते जा रहा …

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24 NOV 2022 AT 23:53

सुने थे तारीखे बहुत आती जाती है
अदालत की ये आम सी बाते होते जाते …

क्यों अपनी ही दोहज़र्र में हमे अब भी खड़े कर जा रहे है
वकालत आपने तो पढ़ा था तारीखे कुछ अलग कर जाते…

ख़ुद को तारीख़े से नफ़रत सी हो गई
सुकून से थे अब तो दुआ है आप तो आसमां छू
हम तो पैदा होना का जश्न भी छोड़ गये…


#आशी२४

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20 NOV 2022 AT 21:57

फिर से शुरुआत की है
अपनी बाँतों की आगाज़ की है
फिर आएँगे सैकड़ो मुखबिर बन कर मेरे
अब सब छोड़ फिर नई गुनाह की है..

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20 NOV 2022 AT 21:54

क़ोई जन्नत सी थी बिछर क्यू रही
हमने कुछ भी न किया भी तो बता क्यू नही रही
हुआ मेरे साथ इस कदर की उसको कुछ न किया
अपनी ज़िम्मेदारी में खोए रहे हम मिला रत्ती भर नही…
उस सुनहरे ख़्वाब को भी ख़त्म कर दिया …
मिन्नतें कर दिया मज़ार पे पर एक दफ़ा वो देखी नही
सुकून मिला जब की हम उसके क़ोई नही …


#पाठक Ashi2418

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17 NOV 2021 AT 20:13

होंठों पर शिकायत का क़ाफ़िला है
और आँखो में गले लगाने की तलब…
बातें करु या सच छोड़ दु मन था ना समझ
हज़ारों बात सुन लू पर कैसे,ताह उम्र की दोस्ती कर लू बे-अदब

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21 MAY 2021 AT 12:49

चंद लम्हों को सदियों में जीना है,मुझे तुम्हारी होठो से लगी चायें पीना हैं

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